लटोरी तहसीलदार कारनामा पार्ट 4 : खबरों पर रोक लगाने रची हत्या की साजिश, लेकिन अफसोस रोक लगा पाना संभव नहीं, पढ़े एक और कारनामा…

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हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर: गलती एक बार होती है दो बार होती है तीन बार होती है लेकिन अगर कोई इंसान एक ही गलती बार-बार करे तो उसे गलती नहीं बल्कि अपराध कहा जाता है।इसी तर्ज पर लटोरी तहसीलदार सुरेंद्र पैंकरा को आदतन अपराधी कहा जा सकता है..?? जिनके द्वारा एक ही गलती को बार-बार दोहराया गया और लाभ लेने की नीयत से कई ऐसी जमीनों की रजिस्ट्री कर दी गई जिनकी रजिस्ट्री बिना कलेक्टर परमिशन के हो पाना संभव ही नहीं था। इससे पहले हमारे द्वारा तीन रजिस्ट्री की जानकारी के साथ खबरें प्रकाशित की गई थी आज हम आपको बताने जा रहे हैं कैसे तहसीलदार द्वारा एक और रजिस्ट्री बिना कलेक्टर परमिशन के कर दी गई है।

दरअसल लटोरी तहसील अंतर्गत आने वाली जमीन खसरा नंबर 211/2 में से 0.09 हेक्टेयर भूमि सुमन प्रसाद सिंह द्वारा संतोष कुमार सिंह को बेचा गया है जबकि यह जमीन शासन से प्राप्त जमीन है और इस जमीन की रजिस्ट्री बिना कलेक्टर परमिशन के नहीं हो सकती है बावजूद इसके 27/05/2025 को इस जमीन की रजिस्ट्री कर दी गई।

भुइयां पोर्टल पर स्पष्ट निर्देशित कैफियत शासन से प्राप्त भूमि

जैसा कि हम पहले भी कहते आए हैं लटोरी तहसीलदार अपने आप को कलेक्टर से भी ऊपर समझते हैं और अपने मुख्यमंत्री के करीबी होने का सदैव फायदा उठाने का काम उनके द्वारा किया जाता रहा है और इसी तर्ज पर वे बिना किसी डर के बेझिझक नियम विरुद्ध काम करते आ रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है उनकी गलती होने पर भी मुख्यमंत्री के रिश्तेदार होने के कारण उन पर कार्यवाही का दुस्साहस कोई नहीं कर पाएगा। जब तक बीजेपी का शासन है और जब तक उनके मामा सीएम है तब तक तो वे अपना राजपाट चला ही सकते हैं भले ही शासन बदलते ही और मुख्यमंत्री बदलते ही उन पर कार्यवाही हो जाए लेकिन जब तक मामा सीएम है तब तक तो वे सुरक्षित है।

सीएम नाम का फायदा उठाना और नियमों की अनदेखी करना आदत में शुमार

नियमों की अनदेखी कर वे अपने पद का लगातार दुरुपयोग कर रहे हैं, लेकिन सीएम के नाम का फायदा उठाकर हर मुसीबत से बच जाते हैं ना तो उन पर कोई कार्यवाही होती है और न ही निकट भविष्य में कोई कार्यवाही होती नजर आ रही हैं।

इस तरह की फर्जी रजिस्ट्री के और भी कागज मौजूद

तहसीलदार साहब द्वारा कैसे अपने पद का दुरुपयोग करते हुए शासकीय मत से प्राप्त भूमियों की फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कर दी गई है इसके और भी प्रमाण हमारे पास मौजूद है लेकिन हम इन सब का खुलासा धीरे-धीरे करना पसंद करेंगे क्योंकि इन सभी कागजों की जांच करने में थोड़ा समय लगता है। तहसीलदार साहब को एक-एक कर मिल रहे नोटिसों से हो रही परेशानी के लिए हमें खेद हैं। 

दंडाधिकारी बन हमारी दुःसाहस के लिए सुना चुके हैं मौत का फरमान

आपको बता दे की यह वही अधिकारी है जिनके द्वारा अपने चेहरे दलालों के साथ सांठ गांठ कर हमारे खबरों से परेशान होकर हिंद स्वराष्ट्र के सह संपादक और सिंधु स्वाभिमान के संपादक प्रशांत पाण्डेय की हत्या की साजिश रची गई थी।

पढ़े इससे पहले उनके कारनामों के खुलासे वाली खबरें :

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