हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : आईजी सरगुजा से शिकायत के 10 दिन बीत जाने के बावजूद अब तक आरोपियों के विरुद्ध सरगुजा पुलिस अपराध दर्ज नहीं कर पाई हैं…जांच के नाम पर SDOP राहुल बंसल द्वारा मामले की लीपापोती का कार्य किया जा रहा हैं। एसडीओपी की यह कार्य प्रणाली कहीं ना कहीं हमारे मन में यह सवाल खड़ी कर रही है कि क्या कथित तौर पर तहसीलदार के मुख्यमंत्री के रिश्तेदार होने की वजह उन्हें अपने कलम चलाने से रोक रही है..? 2022 के IPS अधिकारी क्या अपना पुलिसिया प्रोफेशन स्टार्ट होने से पहले खत्म नहीं करना चाह रहे हैं या उनमें अब तक अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही का साहस नहीं आ पाया हैं..? मूलतः राजस्थान के निवासी एसडीओपी की हिंदी कमजोर हैं या फिर उन्हें सरगुजा की लोकल भाषा और टोन की जानकारी नहीं हैं जो साफ साफ सामने आए वीडियो और ऑडियो सबूत उनके पल्ले नहीं पड़ रहे हैं…?? आपको बता दे की एसडीओपी राहुल बंसल इससे पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, फॉरेस्ट डिपार्मेंट और प्राइवेट सेक्टर में भी काम कर चुके हैं, पुलिस विभाग पहला ऐसा विभाग है जहां वह पिछले 3 साल से कार्यरत है। संभवत वह इसे अपना फ्यूचर डिपार्टमेंट भी बनाना चाहते हो इसीलिए ऐसे किसी मामले में अपना कलम नहीं फंसाना चाह रहे हैं जिससे उनपर भविष्य में कोई गाज गिर जाए..?
थाने में भी सबूतों के साथ दिया गया आवेदन लेकिन थानेदार ने नहीं उठाई FIR दर्ज करने की जहमत….
इस मामले में पुलिस थाना गांधीनगर में भी एक आवेदन संलग्न दस्तावेजों और साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत की गई हैं लेकिन बावजूद इसके अब तक इस मामले में FIR दर्ज नहीं की गई हैं। आपको बता दे की आवेदन देने के दौरान हमें तीन स्टार द्वारा बताया गया कि किसी की हत्या की प्लानिंग करना कोई अपराध नहीं होता इस पर कोई धारा नहीं बनती हैं। ऐसे में हमें लगता है कि शायद अपराध दर्ज करवाने और पुलिस से सहायता प्राप्त करने के लिए हमें अपनी जिंदगी को कुर्बान करना होगा और मौत के बाद ही हमें न्याय मिल पाएगा।
दो लापरवाही चार मौतें सबक शून्य
पिछले 15–20 दिनों में सरगुजा संभाग में पुलिस की लापरवाही से 4 लोगों की जान जा चुकी हैं लेकिन इन हत्याओं से पुलिस द्वारा अब तक कोई सबक नहीं लिया गया है। भले ही पुलिस महानिरीक्षक द्वारा कार्यवाही करते हुए 2 निरीक्षकों को निलम्बित कर दिया हैं। आपको बता दें कि पुलिस वालों को लापरवाही की ऐसी सजा मिलती है जिसे पुलिसवालों की ही भाषा में कहे तो सजा नहीं मजा है…. जहां ना तो ड्यूटी करनी होती है ना कोई काम हर महीने सैलरी का हो जाता हैं इंतजाम….
लेकिन सवाल यह उठता है कि जिनकी जिंदगी चली गई जिनके परिवार तबाह हो गए उनका क्या…??? किसी के निलंबन मात्र से क्या वापस मिल जाती है जिंदगी…??
पूरे देश दुनिया को दिखा सबूत लेकिन एसडीओपी राहुल बंसल की नजरों में पड़ी है ऐसी पट्टी की नहीं दिख रहा उन्हें कोई सबूत
आपको बता दे की कुछ दिन पूर्व हरिओम गुप्ता और उसके पिता संजय गुप्ता सिंधु स्वाभिमान के संपादक प्रशांत पाण्डेय के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाने खड़गवां चौकी पहुंचे थे जहां उनके द्वारा एक पत्रकार को बुलाकर अपना पक्ष भी रखा गया था जिस पर उनके द्वारा अपना बयान देते हुए संपादक प्रशांत पाण्डेय पर कई आरोप लगाए थे लेकिन इस बात को भी माना था की उनके द्वारा तहसीलदार सुरेंद्र पैंकरा के कहने पर प्रशांत पाण्डेय को फोन किया गया था और खबर लगाने से मना किया गया था।
इससे पहले हमारे द्वारा एक वीडियो भी साझा किया गया था जिसमें संजय गुप्ता द्वारा स्वयं सुपारी देने की बात स्वीकारते हुए माफी मांगी थी इतनी पर्याप्त सबूत होने के बावजूद राहुल बंसल आंखों में पट्टी बांधकर जांच कर रहे हैं और उनका कहना है कि उनके द्वारा आरोपियों को नोटिस जारी किया जा रहा है ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब पर्याप्त सबूत हमारे पास उपलब्ध है तो उन्हें नोटिस जारी करने की क्या आवश्यकता पड़ गई..?? इससे पहले उनके द्वारा स्वयं बोला गया था की पर्याप्त सबूत होने के कारण इस मामले में जांच की आवश्यकता नहीं है केवल बयान लेकर अपराध दर्ज कर लिया जाएगा लेकिन बयान दर्ज होने के बावजूद आजकल आजकल करते-करते 10 दिन बीत गए हैं लेकिन ना तो उनके द्वारा अनावेदक पक्ष का बयान लिया जा रहा है नहीं अपराध पंजीबद्ध किया जा रहा है।
हत्या की कोशिश और प्लानिंग कैसे बची जान सुने पूरे मामले को 👇
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हत्या के प्रयास की सीसीटीवी फुटेज
सबको न्याय दिलाने वाले पत्रकार खुद न्याय के लिए भटकने को मजबूर
दूसरों के हक की लड़ाई लड़ने वाले पत्रकार अपने हक के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो गए हैं, पुलिस की कार्यप्रणाली से पत्रकारों के मन में निराशा है और पुलिस विभाग के प्रति मन में अविश्वास और असंतोष जाग रहा हैं।
समाजसेवी संगठन द्वारा कल किया जाएगा आईजी कार्यालय का घेराव
इससे पहले समाजसेवी संगठनो द्वारा ज्ञापन सौंप जल्द आरोपियों के विरुद्ध कार्यवाही और अपराध पंजीबद्ध करने की मांग की गई थी, लेकिन बावजूद इसके अब तक इस मामले में आरोपियों के विरुद्ध अपराध दर्ज नहीं किया गया है जिसकी वजह से कल समाजसेवी संगठन और आम नागरिक सड़क पर उतरने को मजबूर हो गए हैं और कल उनके द्वारा आईजी कार्यालय का घेराव कर संपादक प्रशांत पाण्डेय और उनके परिवार को न्याय दिलाने की मांग की जाएगी।

