लटोरी तहसीलदार कारनामा पार्ट 2 :  अपने चहेतों को कैसे पहुंचाया फायदा,,, देखें प्रमाण…

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हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर : लटोरी तहसीलदार द्वारा किस प्रकार से अपने पद का दुरुपयोग करते हुए नियम विरुद्ध तरीके से कई जमीन के दलालों और तहसीलदार के कुछ खास और चहेते लोगों की रजिस्ट्री और नामांतरण का कार्य किया गया हैं। इसका खुलासा हमारे द्वारा एक-एक कर लगातार किया जा रहा है। कल हमारे द्वारा लटोरी तहसीलदार की मेहरबानी से पटवारी टीकन कुमार राजवाड़े की पत्नी सरिता राजवाड़े की जमीन रजिस्ट्री का मामला उजागर किया गया था। आज हम एक दूसरे मामले का खुलासा करने जा रहे हैं जा रहे हैं जहां तहसीलदार द्वारा बिना पटवारी प्रतिवेदन और कलेक्टर के परमिशन के ही नियम विरुद्ध जाकर रजिस्ट्री का कार्य किया गया है। दरअसल तहसीलदार सुरेंद्र पैंकरा द्वारा गीता सिंह पति राघवेंद्र सिंह की लटोरी ग्राम की खसरा नंबर 114 की जमीन त्रयंबक प्रसाद गुप्ता आत्मज उदयचंद गुप्ता के नाम रजिस्ट्री कर दी गई। आश्चर्य की बात यह रही की इस रजिस्ट्री के पेपर में न तो पटवारी द्वारा हस्ताक्षर किए गए और न ही इस रजिस्ट्री के पेपर में जमीन खरीदी करने वाले त्र्यंबक प्रसाद गुप्ता के पहचान पत्र मौजूद थे। आपको जबकि त्रयंबक प्रसाद गुप्ता के स्थान पर उनके पिता उदय चंद गुप्ता का आधार कार्ड लगाया गया है और इस कागज की जांच किए बगैर ही तहसीलदार लटोरी सुरेंद्र पैंकरा द्वारा रजिस्ट्री कर दिया गया है। सूत्र बताते हैं कि त्र्यंबक प्रसाद गुप्ता के कुछ रिश्तेदार लटोरी क्षेत्र में ही जमीन दलाली के मामले में काफी सक्रिय है और उनकी पहुंच तहसीलदार सुरेंद्र पैंकरा तक है। यह वही लोग हैं जो की सुरेंद्र पैंकरा की जी हजूरी करते हैं और उनके लिए सुरेंद्र पैंकरा के विरुद्ध जाने वालों के ऊपर दबाव डालते हैं और सुरेंद्र पैंकरा के साथ मध्यस्थता और समझौता कराने का प्रयास करते है। रजिस्ट्री के पेपर पर गवाहों के तौर पर भी जमीन दलालों द्वारा ही हस्ताक्षर किए गए हैं जो तहसीलदार सुरेंद्र के काफी करीबी है और स्वयं को भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों का काफी करीबी बताते हैं।

हमारे पास लटोरी तहसीलदार सुरेंद्र पैंकरा के ऐसे कई कारनामों के पूरे साक्ष्य मौजूद है जहां उनके द्वारा बिना कलेक्टर परमिशन के ही कई जमीनों की रजिस्ट्री और नामांतरण कर दिए गए हैं। लटोरी तहसीलदार द्वारा टीकन राजवाड़े के अलावा एक अन्य पटवारी के जमीन का नामांतरण किया गया हैं जिस जमीन की बिक्री में कलेक्टर का परमिशन तक नहीं लिया गया है। कलेक्टर से ऊपर उठकर तहसीलदार कैसे अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रजिस्ट्री और नामांतरण का कार्य कर रहे थे इसका खुलासा हमारे अगले अंक में किया जाएगा।

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