जाने क्या है पितृपक्ष….पितृपक्ष में दान का महत्व…

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आचार्य डॉ अजय दिक्षित

पितृ पक्ष अपने कुल, परंपरा और पूर्वजों को याद करने और उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लेने का समय है। इसमें व्यक्ति का पितरों के प्रति श्रद्धा के साथ अर्पित किया गया तर्पण यानी जलदान और पिंडदान यानी भोजन का दान श्राद्ध कहलाता है। पूर्वजों की पूजा और उनकी तृप्ति के लिए किए गए शुभ कार्य जिस विशेष समय में किए जाते हैं उसे ही पितृपक्ष कहा गया है ।

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इस वर्ष 01 सितम्बर 2020 मंगलवार से श्राद्ध आरम्भ हो रहे है। श्राद्ध पक्ष 01 सिंतबर 2020 से शुरू होकर 17 सितंबर 2020 को समाप्त होंगे ।

1 सिंतबर को पूर्णिमा का श्राद्ध है। 4 सितम्बर को कोई श्राद्ध नहीं है।
और सर्वपितृ अमावस्या 17 सितंबर को है।

इस बार तिथियों की घट-बढ़ के बावजूद पितरों की पूजा के लिए 16 दिन मिल रहे हैं। इन दिनों में पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध किया जाएगा।
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आइये जानते है किस दिन है कौन सा श्राद्ध –

पूर्णिमा का श्राद्ध 1 सितंबर
प्रतिपदा अर्थात परेवा का श्राद्ध 2 सितंबर
द्वितीया अर्थात दुइज का श्राद्ध 3 सितंबर
तृतीया अर्थात तीज का श्राद्ध 4 सितंबर
चतुर्थी का श्राद्ध 6 सितंबर
पंचमी का श्राद्ध 7 सितंबर
छठवाँ अर्थात छठ का श्राद्ध 8 सितंबर
सातवाँ अर्थात सप्तमी का श्राद्ध 9 सितंबर
आठवाँ अर्थात अष्टमी का श्राद्ध 10 सितंबर
नौवाँ अर्थात नवमी का श्राद्ध 11 सितंबर
दसवाँ अर्थात दशमी का श्राद्ध 12 सितंबर
ग्यारहवाँ अर्थात एकादशी का श्राद्ध 13 सितंबर
बारहवाँ अर्थात द्वादशी का श्राद्ध 14 सितंबर
त्रयोदशी अर्थात प्रदोष का श्राद्ध 15 सितंबर
चतुर्दशी अर्थात चौदस का श्राद्ध 16 सितंबर
पंद्रहवाँ अर्थात अमावस्या का श्राद्ध 17 सितंबर, (सर्वपितृ अमावस्या) को रहेगा।

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श्राद्ध में क्या वस्तु दान करने से उसका क्या फल प्राप्त होता है-
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1. गाय का दान- धार्मिक दृष्टि से गाय का दान सभी दानों में श्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन श्राद्ध पक्ष में किया गया गाय का दान हर सुख और धन-संपत्ति देने वाला माना गया है।
2. तिल का दान- श्राद्ध के हर कर्म में तिल का महत्व है। इसी तरह श्राद्ध में दान की दृष्टि से काले तिलों का दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है।

3. घी का दान- श्राद्ध में गाय का घी एक पात्र (बर्तन) में रखकर दान करना परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी माना जाता है।
4. अनाज का दान- अन्नदान में गेहूं, चावल का दान करना चाहिए। इनके अभाव में कोई दूसरा अनाज भी दान किया जा सकता है। यह दान संकल्प सहित करने पर मनोवांछित फल देता है।

5. भूमि दान- अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो श्राद्ध पक्ष में किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति को भूमि का दान आपको संपत्ति और संतान लाभ देता है। किंतु अगर यह संभव न हो तो भूमि के स्थान पर मिट्टी के कुछ ढेले दान करने के लिए थाली में रखकर किसी ब्राह्मण को दान कर सकते हैं।
6. वस्त्रों का दान- इस दान में धोती और दुपट्टा सहित दो वस्त्रों के दान का महत्व है। यह वस्त्र नए और स्वच्छ होना चाहिए।

7. सोने का दान- सोने का दान कलह का नाश करता है। किंतु अगर सोने का दान संभव न हो तो सोने के दान के निमित्त यथाशक्ति धन दान भी कर सकते हैं।
8. चांदी का दान- पितरों के आशीर्वाद और संतुष्टि के लिए चांदी का दान बहुत प्रभावकारी माना गया है।

9. गुड़ का दान- गुड़ का दान पूर्वजों के आशीर्वाद से कलह और दरिद्रता का नाश कर धन और सुख देने वाला माना गया है।
10. नमक का दान- पितरों की प्रसन्नता के लिए नमक का दान बहुत महत्व रखता है।

ब्राह्मणों को दान देते समय यह मंत्र बोलना चाहिए-
यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपोयज्ञक्रियादिषु।
न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम्।।

दान करते समय यह श्लोक बोलकर भगवान विष्णु से श्राद्धकर्म की शुभ फल की प्रार्थना करना चाहिए।

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