वॉशिंगटन: एक बड़ा, दुर्लभ धूमकेतु जो अपने रंगीन विस्फोट के लिए जाना जाता है, वर्तमान में पृथ्वी से दिखाई दे रहा है। धूमकेतु 12 पी/पोंस ब्रूक्स है जो हर 71 साल में सूर्य की परिक्रमा करता है। इसकी कक्षा की पृथ्वी से दूरी के कारण इसे गैर-खतरनाक ‘पृथ्वी के करीब का एस्टेरॉयड’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसे जीवन में एक बार दूरबीन या टेलीस्कोप के जरिए देख सकते हैं। नासा के मुताबिक धूमकेतु धूल और बर्फ से बने बड़े पिंड होते हैं, जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
अन्य धूमकेतु की तुलना में 12पी/पोंस-ब्रूक्स समय-समय पर गैस के विस्फोट छोड़ता है, जिससे यह हरे और लाल रंग में चमकता है। स्पेस डॉट कॉम के मुताबिक यह 5अक्टूबर, 1 और 14 नवंबर, 14 दिसंबर और 18 जनवरी को भड़क उठा था। यह धूमकेतु हमारे सौर मंडल में रास्ता बना रहा है। 21 अप्रैल तक यह सूर्य के सबसे निकट नहीं पहुंचेगा। यानी कि यह धूमकेतु अगले महीने के पूर्ण सूर्य ग्रहण के साथ मेल खाता है, जो 8 अप्रैल को होगा। हालांकि रंगीन चमक न होने के बावजूद ग्रहण के साथ धूमकेतु देखना संभव हो सकता है।
कैसे देख सकेंगे धूमकेतु
रिपोर्ट के मुताबिक अगर आप ग्रहण तक इसे देखने का इंतजार नहीं करना चाहते तो मार्च और अप्रैल के दौरान धूमकेतु को देखने के अन्य अवसर होंगे। पाइसिस तारामंडल में आपको यह शाम के समय दिखेगा। 12पी/पोंस ब्रूक्स को सबसे अच्छे तरीके से आप दूरबीन या टेलीस्कोप से देख सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि आसमान साफ हो।
ऐसे हुई धूमकेतु की खोज
फ्रांसीसी खगोलशास्त्री जीन-लुई पोंस ने इसे सबसे पहले खोजा था। वह दुनिया के सबसे महानतम धूमकेतु खोजकर्ता बने। पोंस ने ज्यादातर धूमकेतु की खोज खुद के डिजाइन किए दूरबीन और लेंसों के जरिए की। पोंस ने 1801 से 1827 तक 37 धूमकेतुओं की खोज की थी। 12 जुलाई 1812 को उन्होंने सबसे पहले इसे खोजा था। ऑर्बिट की गणना के मुताबिक इसके सूर्य की परिक्रमा का समय 65 से 75 साल था। 1883 में ब्रिटिश खगोलविद विलियम आर ब्रूक्स ने इसे गलती से खोज लिया। दोनों खगोलविदों के नाम को जोड़कर इस धूमकेतु का नाम रखा गया।