उदयपुर वन विभाग के लापरवाही की सिमा पार कट गये 2000 से अधिक पौधे,वन विभाग अभी भी गहरी निद्रा में लीन।

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मामला उदयपुर के रेंज में आने वाले ग्राम केशगावां की है जिसके वन पाल गिरीश बहादुर सिंह हैं जहां शासन के द्वारा लगाए गए लगभग 20 से 30 एकड़ की एरिया में प्लांटेशन लगाकर हजारों की संख्या में तरह-तरह के पौधे तैयार किये गए थे जो एनएच 142 के ठीक सटे हुए एरिया में प्लांट लगाया गया है जिसमें कई हजार पौधे तैयार हुए और बेहद ही खूबसूरत प्लांट के तौर पर विकसित भी हुआ जिसका हर पौधा लगभग 2 से 3 फीट की मोटाई पर तैयार हो चुका था लेकिन आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि आज उस प्लांट से हजारों की संख्या में पौधे काट दिए गए बात यहीं खत्म नहीं होती प्रतिदिन उस प्लांट से सैकड़ों की संख्या में पौधे काटे जा रहे हैं जिसकी उदयपुर की वन विभाग टीम ने आज तक सुध नहीं ली सारा हरा भरा प्लांट काटकर पूरी तरीके से ग्राउंड में तब्दील कर दिया गया है एक तरफ जहां शासन जंगल को बचाने के लिए तरह तरह का प्रयास कर लाखों करोड़ों खर्च हर साल करती आ रही है फिर भी जंगल तेजी से उजड़ता चला जा रहा है वहीं अगर बात करें शासन के करोड़ों के खर्च के बाद लगाया जाने वाला प्लांट भी अब विभाग की लापरवाही से सुरक्षित नहीं आपको बता दूं कि उस बीट के बीट गार्ड गिरीश बहादुर सिंह है जो आज तक एक भी दिन उस प्लांट को देखने नहीं गए जहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में पौधे काटे जा रहे हैं ग्रामीणों से बात करने पर यह पाया गया कि वहां के आधे से अधिक ग्रामीण रोजाना पौधों को काटकर घर में कंड्डी खूंटा और घेरा बाड़ी बनाने के लिए काट कर ले जा रहे हैं कुछ ग्रामीणों ने इसकी शिकायत भी विभाग एवं बीट गार्ड को दी लेकिन एक भी दिन वनपाल वहां नहीं पहुंचे ग्रामीणों का कहना है कि चौकीदार को भेज दिया जाता है तो अब उदयपुर वन विभाग जंगल की रखवाली चौकीदारों से करा रही है आखिर इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन ? किसकी सह से वनपाल अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता कौन है इनके पीछे? किसका हाथ है इनके ऊपर? कि इनको तनिक भी अपनी जिम्मेदारी और डर का एहसास नहीं की प्लांट और जंगल उजाड़ दिए जा रहे हैं, और कर्मचारी बेखबर है क्या इनको अपने उच्च अधिकारियों का भय नहीं या यूं कहें की उच्च अधिकारियों ने इनको खुली छूट दे रखी है जिससे वनपाल अपनी मनमानी करते आ रहे हैं अगर वही बात करें उदयपुर रेंज की तो वहां की रेंज ऑफिसर (रेंजर) श्रीमती सपना मुखर्जी हैं जो बा मुश्किल महीनों में एकाक बार एरिया में नजर आती है वह भी अपनी चार पहिया वाहन लेकर मेन रोड में घूमते हुए अपना भ्रमण पूरा करती है जबकि जंगल के अंदर की स्थिति देखने के लायक नहीं जंगलों में सैकड़ों की संख्या में रोजाना इमारती लकड़ी तैयार किए जा रहे हैं और तस्तकर लगातार जंगल सफाया करते जा रहे हैं, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की उदयपुर रेंज का जंगल भगवान भरोसे टिका हुआ है,।

उदयपुर रेंज की रेंजर सपना मुखर्जी हैं जिनको यहां तक मालूम नहीं कि क्या उनके वनपाल पूरी जिम्मेदारी से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं या नहीं आधे दिन ड्यूटी में तो आधे दिन घर पर ही बिताते हैं उनको यह मालूम ही नहीं की उनके रेंज में किस प्रकार से प्लांट एवं जंगलों का सफाया लगातार किया जा रहा है शासन के द्वारा जंगलों में करोड़ों खर्च कर तार, पोल,घेरावा कर जंगलों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन आज एक भी घेरावा नजर नहीं आता जंगलों में लगाए गए प्लांट के माध्यम से लाखों पौधे लगाए गए लेकिन आज एक भी पौधा प्लांट के माध्यम से तैयार नहीं हो पाया पौधे लगाने के बाद कभी भी दुबारा विभाग उन पौधों की देखभाल की सुध नहीं लेती पोल तोड़ दिए गए, तार चोरी कर लिए गए, आखिर इतनी लापरवाही क्यों? वन विभाग को इतना भी फुर्सत नहीं की यह जाकर देखें आखिर कहां गइ सारी व्यवस्थाएं जो शासन ने इनके भरोसे जंगल को बचाने का प्रयास लगातार करती आ रही है जिसकी जिम्मेदारी इनको दी गई थी, चार पहिया वाहन चड़के रोड में घूमने से जंगल की स्थिति का पता नहीं लगाया जा सकता उसके लिए जंगल के अंदर जाकर यह भी देखना चाहिए कि किस प्रकार वनों की अंधाधुंध कटाई रोजाना हो रहा है।

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