हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर भूषण बघेल : जिला जेल में निरुद्ध एक विचाराधीन कैदी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला सामने आया है। मृतक हत्या के आरोप में पिछले लगभग 11 महीने से जेल में बंद था। अचानक तबीयत बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसकी मृत्यु हो गई।
मिली जानकारी के अनुसार, मृतक की पहचान 50 वर्षीय बिहारी के रूप में हुई है। वह हत्या के एक मामले में आरोपी था और न्यायालय में उसका मामला विचाराधीन था। बताया जा रहा है कि जेल में रहते हुए उसकी तबीयत अचानक खराब हो गई। स्थिति को देखते हुए जेल प्रशासन ने उसे तत्काल जिला अस्पताल पहुँचाया, लेकिन चिकित्सकों के प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका।
प्रशासनिक कार्यवाही
जेल में बंदी की मौत की खबर मिलते ही पुलिस और जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए शव का पंचनामा और पोस्टमार्टम ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (न्यायिक दंडाधिकारी) की उपस्थिति में कराया गया है।
फिलहाल, मौत के स्पष्ट कारणों का पता नहीं चल सका है। पुलिस और जेल प्रशासन का कहना है कि विस्तृत पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की असली वजह का खुलासा हो पाएगा
मृतक: बिहारी (50 वर्ष), विचाराधीन बंदी
आरोप: हत्या (धारा 302 के तहत संभावित), 11 माह से जेल में।
घटना स्थल: जिला जेल सूरजपुर से जिला अस्पताल के बीच।
आखिर जेल के प्रहरी क्यों देते हैं धमकी या दबाव
जेल से छुटे कैदियों से बातचीत में पता चला कि कोई भी मजिस्ट्रेट या अधिकारी जेल का निरीक्षण करने आते हैं तो जेल के प्रहरी कैदियों के ऊपर दबाव बनाते हैं और बोलते हैं कि कोई भी यहां की कमियों को बताया तो उसका अंजाम बुरा होगा इसी डर से कैदी भी अपना समस्या मजिस्ट्रेट या अधिकारियों से बोल नहीं पाते हैं। क्योंकि अधिकारी घंटे 2 घंटे के लिए ही आते हैं और चले जाते हैं लेकिन जेल का प्रहरी और वहां के कर्मचारी जेल में हमेशा उपस्थित रहते हैं अगर उन्होंने मुंह खोला तो वहां के कर्मचारी और प्रहरी उनका इलाज पानी तत्काल कर देंगे।
इसी डर से कैदी भी अपना मुंह बंद रखते हैं।
बाहर निकले कैदियों का यह भी कहना था कि जेल की व्यवस्था काफी बुरी स्थिति में है यहां जो चावल आता है खाने के लिए उसमें झिल्लियां पड़ी रहती हैं और कीड़े भी लगे हुए होते हैं उसे जेल के कैदियों से ही सफाई कराया जाता है और तो और जिस दिन जेल में निरीक्षण के लिए उच्च अधिकारी या मजिस्ट्रेट आते हैं उसे दिन ही चावल दाल सब्जी अच्छा मिलता है बाकी दिन सिर्फ दाल में सिर्फ पानी पानी सब्जी भी पानी पानी मिलता है
जमानत में बाहर निकले कैदियों का यह भी कहना है कि हम तो दोष मुक्त हो गए हैं लेकिन जिसका दोष सिद्ध नहीं हुआ है उसे इस तरह का प्रताड़ना सहना कहीं ना कहीं अंदर से उसे तोड़ देता है।

