हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : 3 माह की बच्ची को बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के रेफर मामले में निलंबित दोनों स्वास्थ्यकर्मियों के निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया गया हैं।जांच में लापरवाही की पुष्टि के बाद दोनों स्वास्थ्य कर्मियों को निलंबित किया गया था, लेकिन संयुक्त संचालक स्वास्थ्य द्वारा अपने आदेश को वापस लेते हुए निलंबन आदेश को शून्य घोषित कर दिया है। जहां एक और इस मामले में निलंबन आदेश जारी कर और लापरवाही बर्दाश्त नहीं किए जाने की बात कहकर जेडी द्वारा खूब वाहवाही लूटी गई थी वहीं दूसरी और निलंबन आदेश को वापस लेकर वे अब अपनी काफी किरकिरी करवा रहे हैं।
उल्लेखनीय हैं कि ग्राम पिंडरा निवासी सनम अगरिया की 3 महीने की बेटी संजना अगरिया का जिला अस्पताल बलरामपुर में निमोनिया का इलाज चल रहा था। 9 सितंबर को बच्ची की हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने उसे तत्काल ऑक्सीजन सपोर्ट देने और अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर करने के निर्देश दिए थे। लेकिन ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों ने आदेश की अनदेखी करते हुए बच्ची का ऑक्सीजन हटा दिया और उसे बिना ऑक्सीजन एम्बुलेंस से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज भेज दिया था। जिसके बाद रास्ते में बच्ची की तबीयत अचानक बिगड़ गई और उसने दम तोड़ दिया था। बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल पहुंचकर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा मचाया था।
जिसके बाद इस मामले की जांच सीएमएचओ डॉ बसंत सिंह द्वारा करवाई गई जिसमें यह पाया गया कि ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारी सतीश अरक्सेल और स्टाफ नर्स नीता केशरी ने घोर लापरवाही बरती थी। रिपोर्ट मिलते ही जेड़ी हेल्थ डॉ. अनिल शुक्ला ने 12 सितंबर को दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था साथ ही उन्होंने अस्पताल प्रशासन को सख्त चेतावनी दी थी कि मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वालों पर कठोर कार्रवाई होगी और किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
स्वास्थ विभाग द्वारा निलंबन आदेश को जारी करने के बाद स्वास्थ्य कर्मचारी संघ द्वारा पत्र लिखकर निलंबन निरस्त कर प्रकरण की जांच संभाग स्तरीय जांच टीम से कराने की मांग जेडी डॉ अनिल शुक्ला से की गई थी जिसके बाद संयुक्त संचालक डॉ. अनिल शुक्ला द्वारा निलंबन आदेश जारी करने के ठीक एक हफ्ते बाद 19 सितंबर को एक आदेश जारी कर पूर्व में जारी निलंबन आदेश को शून्य घोषित कर दिया साथ ही इस मामले की जांच संभाग स्तरीय टीम से कराने की बात लिख दी।
लापरवाही बर्दाश्त नहीं किए जाने की बात कहते हुए निलंबन आदेश जारी करने वाले जेडी स्वास्थ्य डॉ अनिल शुक्ला के कड़े रुख को देखकर लोगों ने उनकी काफी प्रशंसा की थी और उनका आभार जताया था, लेकिन अब निलंबन आदेश निरस्त किए जाने के इस फैसले से लोगों में काफी आक्रोश हैं।
डॉक्टर शुक्ला के इस फैसले के बाद लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा अपने विभाग के लापरवाही को छुपाने के लिए निलंबन आदेश जारी किया गया था और अब जब मामला ठंडा पर गया हैं तो निलंबन आदेश को निरस्त कर पीड़ित परिवार के साथ छल किया जा रहा है।
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