हिंद स्वराष्ट्र मनेंद्रगढ़ : MCB जिले के केल्हारी विकासखंड में एक ऐसा मामला सामने आया हैं जहां राजस्व की जमीन पर कुछ राजस्व के कर्मचारियों/अधिकारियों के साथ मिली भगत कर एक शासकीय कर्मचारी दंपत्ति ने वन अधिकार पट्टा बना लिया गया। यह वन अधिकार पट्टा दंपत्ति द्वारा महिला के नाम पर बनवाया गया। आश्चर्य की बात यह रही की उक्त जमीन पर ना तो उस महिला का कभी कब्जा था और ना ही आज भी उस जमीन पर उस महिला का कब्जा है, लेकिन बावजूद इसके राजस्व की जमीन पर महिला के नाम पर वन अधिकार पट्टा जारी हो गया। जमीन पर पिछले 40–50 वर्षों से काबिज व्यक्तियों को महिला और उसके पति द्वारा धमका कर खेती से रोका जा रहा हैं और प्रताड़ित किया जा रहा हैं। आपको बता दे की वन अधिकार पट्टा बनने के लिए ग्राम पंचायत से प्रस्ताव पारित करवाना पड़ता है लेकिन बिना प्रस्ताव के ही पटवारी से मिली भगत कर वन अधिकार पट्टा जारी हो गया।
दरअसल मामला एम०सी०बी० जिले के तहसील केल्हारी अंतर्गत ग्राम पंचायत बडकाबहरा का हैं, जिसपर राधा देवी पिता रामचन्द्र द्वारा वन अधिकार पट्टा बनवाया गया जबकि राधा देवी शासकीय कर्मचारी है। उसके द्वारा पटवारी सूरज किस्पोट्टा से मिलीभगत करके कूटरचित कर उक्त भूमि का पट्टा बनवा लिया गया। जिसमें ग्राम पंचायत बड़काबहरा द्वारा आपत्ति दर्ज करते हुए कलेक्टर और अनुविभागीय अधिकारी को आवेदन प्रस्तुत किया गया हैं। आपको बता दें कि उक्त भूमि में ललन सिंह पिता रामसाय पण्ड़ो, जोगेन्द्र रजक पिता स्व जयकरन रजक एवं इन्द्रबती पति स्व संतलाल घसिया तीनों निवासी ग्राम बड़काबहरा तहसील केल्हारी जिला एम०सी०बी० (छ०ग०) के पूर्वजों का कई पीढ़ियों से काबिज होकर अपना जीवनयापन व उक्त भूमि में कृषि कार्य करके भरण पोषण करते आ रहे थे, लेकिन इस जमीन पर फर्जी तरीके से राधा देवी के नाम पर पट्टा जारी किया गया।
इस मामले की शिकायत सरपंच और ग्राम वासियों द्वारा कलेक्टर जनदर्शन में की गई कलेक्टर द्वारा इस मामले में जांच की आदेश दिए गए इसके बाद राजस्व निरीक्षक और पटवारी द्वारा मौका जांच किया गया और मौका जांच में भी आवेदन में लिखी गई बात सही मालूम पड़ी। इस मामले में कार्रवाई करते हुए पट्टा निरस्त कर दिया गया है और जमीन को शासकीय भूमि के तौर पर पुनः शामिल कर दिया गया है लेकिन इस मामले में सवाल यह उठता है कि जब शासकीय जमीन के साथ पटवारी और सरकारी कर्मचारियों द्वारा इस तरह से गड़बड़ की गई और फर्जीवाड़ा करते हुए वन अधिकार पट्टा बनवाया गया है, तो अब तक इस मामले में आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है और उनके विरुद्ध आपराधिक धाराओं के साथ FIR क्यों नहीं दर्ज करवाया गया है।
