लटोरी तहसीलदार का कारनामा बिना पटवारी प्रतिवेदन कर दी अपने चहेतों की जमीन रजिस्ट्री…

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हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर : राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी की शिकायत हमेशा से आती रही है। कुछ समय पहले तक राजस्व के अधिकारी अपनी साख को बचाकर कोई भी काम करते थे, लेकिन आज के यह अधिकारी इतने बेखौफ हो गए हैं कि इन्हें कार्यवाही का कोई डर ही नहीं रह गया है। पद के दुरुपयोग और अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने का ऐसा ही एक मामला सूरजपुर जिले के लटोरी तहसील से आया है, जहां तहसीलदार सुरेंद्र पैंकरा अपने कुछ खास जमीन दलालों और अपने ही विभाग के एक पटवारी को फायदा पहुंचाने के मकसद से अपने पद की गरिमा भूलकर जमीन दलालों की बात में आकर बिना पटवारी प्रतिवेदन के ही जमीन की रजिस्ट्री कर दी।जिस जमीन की रजिस्ट्री लटोरी तहसीलदार द्वारा की गई है वह जमीन शासकीय मद से प्राप्त जमीन थी। यह जमीन विक्रेता के नाम पर कैसे हुई?? नियम संगत हुई या नियम वृद्धि हुई??? यह तो जांच का विषय है।

जब सैया भयो कोतवाल तो डर काहेका

कहते हैं ना जब सैया भयों कोतवाल तो डर काहेका उसी तर्ज पर एक पटवारी द्वारा अपनी पत्नी के नाम पर जमीन की खरीदी नियमों को तांक पर रख कर की गई हैं। आश्चर्य की बात यह हैं कि जो स्वयं पटवारी हैं जिसे जमीन खरीदी बिक्री संबंधित सभी मामलों की सही जानकारी है तो फिर उसने जमीन खरीदते वक्त इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर दी?? या फिर यह कहें कि उन्होंने जानबूझकर अपने उच्च अधिकारियों से मिली भगत कर जमीन के लालच में आकर यह कांड किया है तो इसमें कोई दो राय नहीं होगी। आपको बता दे कि कई योजनाओं का लाभ लेने के लिए कुछ भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा अपनी पत्नी के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा हैं। पत्नी के नाम पर जमीन खरीदी कर ये भ्रष्ट अधिकारी यह सोचते हैं कि कोई उन्हें पकड़ नहीं पाएगा लेकिन रोचक तथ्य इसमें यह है कि भ्रष्ट अधिकारी द्वारा जिस आधार कार्ड को पहचान पत्र के आधार पर जमा किया जाता है उसमें पति के नाम पर उन्हीं का नाम दर्ज होता है।

सुबह शाम तहसीलदार साहब की जी हजूरी करने वाले के करीबी के नाम पर भी कर दी रजिस्ट्री

आपको बता दे कि तहसीलदार साहब द्वारा केवल अपने चहेते पटवारी को ही फायदा नहीं पहुंचाया गया है, बल्कि सुबह शाम उनकी जी हजूरी करने वाले एक उनके चुनिंदा चहेते जमीन दलाल की करीबी के नाम पर भी जमीन की रजिस्ट्री की गई है। आपको बता दे कि इस मामले में सूत्र बताते हैं कि तहसीलदार साहब का खुद ही कहना है कि खरीददारों द्वारा उनसे कहा गया था कि वह बाद में पटवारी से साइन कभी भी करवा लेंगे तो उन्होंने उन पर विश्वास करते हुए रजिस्ट्री के कागज पर हस्ताक्षर कर दिए थे। आपको बता दें कि इस मामले में तहसीलदार साहब को अपने चेहरे पर इतना यकीन था कि उन्होंने कागज को जांचना भी जरूरी नहीं समझा क्योंकि जिस इंसान के नाम पर इस जमीन की रजिस्ट्री की गई है, उस इंसान का पहचान पत्र रजिस्ट्री के कागज पर है ही नहीं बल्कि उस कागज पर क्रेता के पिता का आधार कार्ड लगा हुआ है।

इस मामले में हमारे द्वारा सभी साक्ष्य इकट्ठे किए गए हैं, जिनके साथ हम इस मामले की शिकायत सूरजपुर कलेक्टर से करेंगे और उसके साथ ही इस मामले का पूरा खुलासा खबरों के माध्यम से भी किया जाएगा।

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  1. वाह मेम क्या जड़ पकड़े हैं आप के चैनल का जितनी तारीफ करें उतना ही कम है सत्य मेव जयते जय हिंद जय जय हिंद🇮🇳🇮🇳🇮🇳🔥🔥🔥👍

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