पहली-दूसरी के बच्चों को ऑनलाइन पढऩा अब जरूरी नहीं,,,शिक्षा विभाग ने जारी किए निर्देश…

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अम्बिकापुर :- कोरोना संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है। तीसरे लहर की अभी भी चर्चाएं हो रही है। पिछले डेढ़ वर्ष से स्कूल-कॉलेज बंद है। शिक्षा का स्तर खराब न हो जाए, इसे लेकर ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है। बड़े बच्चे तो ऑनलाइन पढ़ाई कर ले रहे हैं पर छोटे बच्चों को परेशानी हो रही है।
छोटे बच्चों में आनलाइन पढ़ाई को लेकर पालकों की नाराजगी के बाद इस बार शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा दूसरी तक के बच्चों की आनलाइन पढ़ाई को वैकल्पिक कर पालकों पर छोड़ दिया गया है। अगर अभिभावक चाहें तो ही अपने बच्चों को आनलाइन पढ़ाएं। इसके अलावा कक्षा 8वीं तक के बच्चों को घर पर ही पढऩे के लिए अभ्यास पुस्तिका का वितरण किया जा रहा है। कोरोना काल में पिछले शैक्षणिक सत्र में आनलाइन पढ़ाई कराई गई परन्तु इसका परिणाम आशाजनक नहीं रहा। खराब नेटवर्क या घर में मोबाइल की कमी के कारण बच्चे क्लास से जुड़ नहीं पाते थे। वहीं कोरोना के कारण बीते शैक्षणिक सत्र में भी बच्चों की परीक्षा नहीं हो पाई और उन्हें पास कर दिया गया।
इस वर्ष भी कोरोना संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है ऐसे में स्कूलों के नहीं खुलने से जहां अभिभावक अब बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं, वहीं बच्चे स्कूल नहीं जाने के कारण पढ़ाई से जी चुरा रहे हैं।
छोटे बच्चों पर मोबाइल के दुष्प्रभाव को देखते हुए शासन द्वारा अब दूसरी कक्षा तक के बच्चों के लिए आनलाइन क्लास को वैकल्पिक कर दिया गया है, अर्थात यदि अभिभावक नहीं चाहते की उनका बच्चा ऑनलाइन पढ़े तो वे उसे नहीं पढ़ाएंगे।
स्कूलों में भर्ती के बाद अब कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए अभ्यास पुस्तिका का वितरण किया जाएगा। इस अभ्यास पुस्तिका के आधार पर बच्चों को पढ़ाया जाएगा।
इसमें पाठयक्रम से जुड़े विषयों के बारे में सामान्य जानकारी व प्रश्न होंगे। बच्चों को आनलाइन क्लास में जो कुछ भी पढ़ाया जाएगा, उसे इस अभ्यास पुस्तिका में लिखना होगा।

पालकों को अभ्यास पुस्तिका कराना पड़ेगा पूर्ण

कक्षा पहली व दूसरी के वे बच्चे जो कि आनलाइन नहीं पढ़ेंगें, उन्हें पालकों द्वारा पढ़ाकर अभ्यास पुस्तिका को पूरा करवाना होगा। जब कभी भी स्कूल खुलेगा तो इस अभ्यास पुस्तिका का शिक्षकों द्वारा मूल्यांकन कर इसके आधार पर ही बच्चों को नम्बर दिये जाएंगें। इस नये तरीके को ही आमाराइट प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है।
बच्चों की पढ़ाई के प्रति रूचि समाप्त ना हो इसके लिए शिक्षकों को यह भी दायित्व दिया गया है कि वे समस-समय पर इस पूरी पढाई की मानिटरिंग भी करें। इसके लिए वे बच्चों के पालकों से मोबाइल पर या उनके घर जाकर संपर्क करेंगें। पढ़ाई के दौरान बच्चों को पाठ्य-पुस्तकों की फोटो उपलब्ध कराई जाएगी ताकि वे अपनी पढ़ाई का अभ्यास भी कर सकें।

आंगनबाड़ी से ही हो जाएगा बच्चों का दाखिला

सर्व शिक्षा अभियान के तहत इस बार जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों का सर्वे किया जा रहा है तथा वहां आने वाले बच्चों के दाखिले के लिए अब परिजनों को परेशान होने की आवश्यकता नहीं होगी।
बच्चों का दाखिला उनके नजदीकी स्कूल में कक्षा पहली में स्वयं कराकर इसके बारे में पालकों को बता दिया जाएगा। इससे कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित नहीं रहेगा।

मोहल्ला क्लास के लिए बनेगी समिति

पिछली बार की तरह इस बार भी मोहल्ला क्लास का आयोजन होगा परन्तु यह कक्षा नवमीं से बारहवीं तक के छात्र-छात्राओं के लिए होगा। इसके लिए एक समिति बनेगी, जिसमें स्कूलों के शाला प्रबंधन समिति के सदस्य व अभिभावक भी शामिल होंगें जो मोहल्ला क्लास के लिए उचित निर्णय लेंगें। इसी समिति के निर्णयों के आधार पर ही मोहल्ला क्लास संचालित कराया जाएगा।

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