अम्बिकापुर – बाबा कार्तिक उराँव जी के जयंती के अवसर पर जनजाति सुरक्षा मंच एवं जनजाति गौरव समाज, जिला सरगुजा के संयुक्त तत्वाधान में आज अम्बिकापुर में कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति एवं माननीय प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें धर्मान्तरित जनजातियों को अनुसूचित जनजाति सूची से हटाकर उन्हें दिए जाने वाले आरक्षण को समाप्त करने की माँग की 2गयी। धर्मान्तरित जनजातियों को आरक्षण सुविधाएँ दिए जाने के विरुद्ध तत्कालीन बिहार ( वर्तमान झारखंड ) के जनजातीय नेता एवं लोकसभा सदस्य केंद्रीय मंत्री बाबा कार्तिक उरांव जी द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को 1970 में एक आवेदन दिया गया था, इस बात को आज 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं। जनजाति समाज की अवस्था को देखकर उन्हें जो पीड़ा हुई उसे व्यक्त करने हेतु उनके द्वारा “20 वर्ष की काली रात” पुस्तिका भी लिखी गई थी। उस आवेदन को ना लोकसभा के पटल पर रखा गया था, ना ही उसको खारिज किया गया था, बल्कि उसको ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। 235 लोकसभा सदस्यों के अधोहस्ताक्षर से युक्त उस आवेदन के संबंध में आज बाबा कार्तिक उरांव जी के जन्म दिवस के अवसर पर कलेक्टर के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति एवं माननीय प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया।
वास्तविक जनजातियों के साथ हो रहे इस अन्याय के खिलाफ जनजाति सुरक्षा मंच वर्षों से लड़ते आया है, अभी तक बहुत से सुविधाओं को धर्मान्तरित लोगों के द्वारा उपभोग किया जाता रहा है, जो आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टि से वास्तविक जनजातियों से तुलना में काफी कुछ अच्छी स्थिति में है, जनजाति सुरक्षा मंच एवं जनजाति गौरव समाज, जिला सरगुजा यह मांग करता है कि काफी विलंब हो चुकने के बावजूद इस त्रुटि में संशोधन करना अत्यंत आवश्यक है, इस संबंध में जनमत संग्रह करने हेतु जनजाति सुरक्षा मंच ने 2009 में एक हस्ताक्षर अभियान चलाया था, जिसमें देशभर के 18 वर्ष से ऊपर की आयु वाले 27.67 लाख जनजाति लोगों ने हस्ताक्षर किया था, स्व. जगदेव राम, स्व. दिलीप सिंह भूरिया एवं सुश्री अनुसुईया उइके ( तत्कालीन राज्यसभा सदस्य एवं वर्तमान छत्तीसगढ़ की राज्यपाल ) के नेतृत्व में देश भर के जनजाति नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को मिलकर यह आवेदन सौंपा था। देश की आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज भी धर्मान्तरित जनजातियों के लोग आरक्षण की सुविधाओं का भरपूर अधिकतम अनुचित लाभ उठा रहे हैं। संयुक्त रूप से दोनों संगठनों ने भारत के महामहिम राष्ट्रपति एवं माननीय प्रधानमंत्री से निवेदन किया है कि इस समस्या के समाधान हेतु प्राथमिकता के आधार पर अनुसूचित जनजातियों के साथ हो रहे अन्याय को हमेशा के लिए समाप्त कर लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची से हटाने हेतु आवश्यक संशोधन करें ताकि वास्तविक जनजाति के जीवन में अंधेरे को हटाते हुए उनके आशा की नई किरणें जीवन में प्रवाहित हो सके।
आज ज्ञापन सौंपने वालों में जनजाति सुरक्षा मंच के जिला संयोजक बिहारीलाल तिर्की, बंशीधर उराँव, मानकेश्वर भगत, बागर साय, देवनाथ सिंह, रज्जु राम, अंकुश सिंह, बिहारी सिंह, बलराम भगत, अंकित कुमार तिर्की, कमलेश टोप्पो, सुमेश्वर सिंह, सचिन भगत, सोनिया मुंडा, राम बिहारी सिंह, सरोज, श्रीमती आशा बैरागी, विकास भगत, शिवम बरवा, श्रीमती पार्वती भगत, नेहा सिंह, शिवपाल राम, देवलाल सिंह पैंकरा, ठाकुर दयाल पैंकरा, दिनेश नागेश, श्रीमती नीतू बैरागी सहित बड़ी संख्या में जनजाति समाज के लोग उपस्थित रहे।
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