महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पे सुप्रीम कोर्ट का आदेश, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रबंधन के मामले पर क्या कहा

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शुभम दुबे
उज्जैन
के महाकालेश्वर मन्दिर के प्रबंधन के मामले सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किए हैं. अपना फैसला सुनाने के बाद मंगलवार को जस्टिस अरुण मिश्रा साथी जजों से बोले, “शिवजी की कृपा से ये आखिरी फैसला भी हो गया.” कोर्ट ने महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की सुरक्षा को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं.

शिवलिंग की सुरक्षा के लिए दिए निर्देश
इसके अलावा, शिवलिंग पर शुगर पाउडर लगाने की इजातत नहीं होगी बल्कि देसी खांडसारी के इस्तेमाल को बढावा दिया जाएगा. नमी से बचाने के लिए गर्भ गृह में ड्रायर व पंखे लगाए जाएंगे. बेल पत्र व फूल पत्ती शिवलिंग के ऊपरी भाग पर ही चढ़ाए जाएंगे ताकि शिवलिंग के पत्थर को प्राकृतिक सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो. शाम पांच बजे के बाद अभिषेक पूरा होने के बाद शिवलिंग की पूरी सफाई होगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा होगी. अभी तक सीवर के लिए चल रही पारंपरिक तकनीक ही चलती रहेगी क्योंकि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के बनने में लंबा समय लगेगा।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूजा के नए नियम
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर ASI, जियोलाजिकल और याचिकाकर्ता से आपत्ति या सुझाव भी मांगे थे. लेकिन इसके बाद जब अगली सुनवाई नवम्बर 2018 के आखिरी हफ्ते में हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन समिति को तुरंत वो नोटिस बोर्ड हटाने को कहा जिसमें लिखा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूजा के नए नियम बनाए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा धार्मिक अनुष्ठान कैसे किए जाए यह आदेश देना हमारा काम नहीं
कोर्ट ने कहा कि ये आदेश कभी नहीं दिया कि धार्मिक अनुष्ठान कैसे किए जाएं और ना ही ये कहा कि भस्म आरती कैसे हो. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कोर्ट को मंदिर और पूजा के रीति रिवाजों से कोई लेना देना नहीं है. कोर्ट ने ये मामला सिर्फ शिवलिंग की सुरक्षा के लिए सुना और एक्सपर्ट कमेटी बनाई. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मंदिर प्रबंधन समितिस्ताव पेश किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर इस मामले में मीडिया गलत रिपोर्टिंग करता है या पक्षकार मीडिया में गलत बयानी करता है तो उसके खिलाफ कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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