अब शहर में गुंडों की जरूरत नहीं, पुलिस ही काफी है गुंडागर्दी करने को,सूरजपुर पुलिस आपकी सेवा में

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प्रशान्त कुमार

सुरजपुर अब क्या अपना हक मांगना भी अपराध हो गया है?आम आदमी क्या करें जब पुलिस महकमा ही गुंडागर्दी में उतर आए?
जिले में अपनी हक की बात को शांतिपूर्वक तरीके से रखने कि कोशिश करने जा रहे मनोज पाण्डेय,तोरण प्रशाद आदि को पुलिस ने जबरजस्ती गिरफ्तार करने की कोशिश की,लोगों में आक्रोश एकतरफा कारवाही पर है। पीड़ित पक्ष का कहना है कि उनके आवेदन पर कोई कार्यवाही ना करते हुए एकतरफा उनपर पुलिस द्वारा जादती कि जा रही है,

इस कहानी में नया मोड़ तब आता है जब ग्राम पचीरा निवासी मंदेश कुर्रे अपने एक साथी के साथ बाजार जा रहे थे अभी कोतवाली थाना के प्रधान आरक्षक अदिप प्रताप सिंह ने उन्हें रोका तथा उनकी बाइक से चाबी छीन ली और नाम पूछा नाम पूछने पर जब उन्होंने अपना नाम बताया तो जाति बद गाली देकर मारने लगा तथा जेब से 1500 रुपए भी छीन लिया।

पुलिस ने नहीं सुनी गुहार उल्टा अपने कर्मचारी को बचाने में करने लगी बहाने बजी

इस घटना की जानकारी देने के लिए मंदेश कुर्रे ने अजाक थाना सूरजपुर का दरवाजा खटखटाया लेकिन मामला पुलिस अधिकारी का था तो अजाक थाना सूरजपुर ने अपने हाथ खड़े कर लिए और सूरजपुर कोतवाली में शिकायत दर्ज करने की बात कही जब सूरजपुर कोतवाली थाने में शिकायत लेकर पहुंचे आवेदक की एफ आई आर दर्ज नहीं की गई और शिकायत लेकर वापस भेज देने लगे तब आवेदक ने अपनी मेडिकल जांच कराने के बारे में पूछ तो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश राठौर ने स्पष्ट शब्दों में कहा जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक किसी भी प्रकार का मेडिकल जांच नहीं कराया जाएगा जिस दिन जांच की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी उसके बाद ही तुम्हारा मेडिकल जांच कराया जाएगा, इस पर आवेदक द्वारा पूछे जाने पर कि क्या 15 20 दिन बाद भी चोट के निशान आएंगे तब अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश राठौर ने कहा हम जांच पूरी होने के बाद ही मेडिकल जांच कराएंगे।


इस प्रकार हरीश राठौर के द्वारा अपने विभाग के कर्मचारी को बचाने के लिए अलग पैतरों का प्रयोग किया जाने लगा अंततः मेडिकल जांच नहीं कराया गया।
जैसा कि हम सभी यह जानते हैं कि मार पिट की घटना में मेडिकल जांच कराना आवश्यक होता है लेकिन शायद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश राठौर को यह बात नहीं पता है या फिर पुलिस से गुंडा बने अपने कर्मचारी को बचाने के हरीश राठौर ने कानून को ताक पर रख कर एक फरियादी कि फरियाद को रौंद डाला।
पुलिस का काम कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करना होता है लेकीन सूरजपुर पुलिस खुद गुंडों के जैसे रास्ते चलते लोगों को मरती पीटती है और पैसा लुटती है,जबकि माननीय न्यायालय का आदेश है कि किसी पुलिस वाले को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी के बाइक से उसकी चाबी छीन ले फिर भी पुलिस द्वारा नियमों को ताक पर रखकर लोगों के साथ अत्याचार घटना आम हो चुकी है। जब बड़े अधिकारी ही इस प्रकार की घटनाओं पर अपने कर्मचारियों पर मेहरबान होते रहे तो कानून व्यवस्था ही खत्म हो जाएगी और एक आम नागरिक की जिंदगी बहुत ही कठिन हो जाएगी। इस घटना में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश राठौर द्वारा आवेदक का मेडिकल जांच ना कराना तथा अपने कर्मचारी का पक्ष लेना बेहद निंदनीय घटना है जिसकी जांच होनी चाहिए तथा दोषियों पर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए चाहे वो वरिष्ठ अधिकारी हो या कोई कर्मचारी।

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