संभाग भर के मरीजों का मेडिकल हब अम्बिकापुर, न्यूरोसर्जन की कमी मरीजों के लिए बनी आफत का सबब…!!

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हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : भाग दौर भरी जिंदगी, रोज घट रही सैंकड़ों घटनाएं… गंभीर रूप से घायल संभाग भर के मरीजों को अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में किया जाता है रेफर,  बावजूद इसके संभाग भर की जिम्मेदारी ढोने वाले अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में न्यूरोसर्जन की हैं कमी। यह कमी मरीजों और उनके परिजनों के लिए आफत का सबब बनी हुई हैं। गंभीर रूप से घायल मरीजों को अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल द्वारा रायपुर रेफर किया जाता हैं। अंबिकापुर से रायपुर की दूरी 340 किलोमीटर हैं। इतनी दूरी का सफर तय करते वक्त कई मरीजों की मौत हो जाती हैं वही कई गरीब तबके के मरीज एम्बुलेंस और हॉस्पिटल और इतने दूर जाने पर होने वाले खर्चे के अभाव में जिंदगी से जंग हार जाते हैं।

अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में न्यूरोसर्जन का संकट: मरीजों का इलाज रामभरोसे!

सरगुजा संभाग के सबसे बड़े स्वास्थ्य केंद्र, राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय (मेडिकल कॉलेज अस्पताल) अंबिकापुर में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी बनी हुई है, जिसमें न्यूरोसर्जन का पद सबसे महत्वपूर्ण है। अस्पताल में एक भी न्यूरोसर्जन मौजूद नहीं है, जिसके कारण सिर और रीढ़ की गंभीर चोटों (Head and Spinal Injuries) से जूझ रहे मरीजों को या तो निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है, या उन्हें जान जोखिम में डालकर दूर के शहरों में रेफर किया जा रहा है।
गंभीर समस्या, शून्य विशेषज्ञ
अस्पताल में न्यूरोसर्जन की कमी लंबे समय से एक गंभीर मुद्दा रहा है। सड़क दुर्घटनाओं और अन्य कारणों से सिर में चोट लगने के मामलों में न्यूरोसर्जन की तत्काल आवश्यकता होती है, लेकिन विशेषज्ञ की गैरमौजूदगी में गंभीर मरीजों का इलाज सिर्फ प्राथमिक उपचार तक सिमट कर रह जाता है। इस क्षेत्र के गरीब और ग्रामीण मरीजों के लिए, जो निजी अस्पतालों का महंगा खर्च वहन नहीं कर सकते, यह स्थिति जानलेवा साबित हो रही है।
प्रशासन की पहल, परिणाम शून्य
अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग लगातार इस कमी को दूर करने के लिए विज्ञापन जारी कर रहा है, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक यहां जॉइन करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। हाल ही में, स्वास्थ्य मंत्री ने भी स्वीकार किया था कि प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है और इस समस्या के समाधान के लिए कलेक्टरों को विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए ‘फ्री हैंड’ दिया गया है, ताकि स्थानीय स्तर पर प्रयास किए जा सकें। हालांकि, जमीन पर स्थिति जस की तस बनी हुई है।
अन्य विशेषज्ञ भी नदारद
न्यूरोसर्जन के अलावा, अस्पताल में नेफ्रो सर्जन, गैस्ट्रोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट जैसे महत्वपूर्ण विभागों के डॉक्टरों के पद भी खाली पड़े हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों की यह कमी न केवल मरीजों को प्रभावित कर रही है, बल्कि नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के मानकों को भी पूरा करने में बाधा डाल रही है।
क्षेत्र की जनता ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि इस गंभीर स्वास्थ्य संकट को देखते हुए तत्काल प्रभाव से विशेषज्ञ न्यूरोसर्जन की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए, ताकि मरीजों को बेहतर और समय पर इलाज मिल सके।

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