तहसीलदार और एसडीएम पर लगे लेन–देन कर फैसला देने के आरोप, पीड़ित ने कलेक्टर और कमिश्नर से शिकायत कर मांगा न्याय…

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हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : इन दिनों छत्तीसगढ़ में राजस्व विभाग काफी चर्चा का विषय बना हुआ है और आए दिन कोई ना कोई ऐसा मामला सामने आ ही जाता है जहां तहसीलदारों पर कई आरोप लग रहे हैं एक और जहां भैयाथान के तत्कालीन तहसीलदार संजय राठौर पर बैक डेट में नामांतरण का आरोप लगा हैं वहीं दूसरी ओर लटोरी के तहसीलदार सुरेंद्र पैंकरा बिना कलेक्टर परमिशन के ही जमीन रजिस्ट्री का कार्य करके बैठे हैं। ऐसा ही एक मामला सरगुजा जिले से निकल कर आया हैं जहां एसडीएम और तहसीलदार पर रिश्वत लेकर फैसला विपक्षी पार्टी के पक्ष में देने का आरोप लगा हैं। दरअसल सरगुजा जिले के लुण्ड्रा और धौरपुर एसडीएम जे. आर. शतरंज और रघुनाथपुर की तत्कालीन नायब तहसीलदार अंकिता तिवारी पर एक बुजुर्ग ने लेन देन कर विपक्षी पार्टी के पक्ष में आदेश देने का संज्ञीन आरोप लगाया है। बुजुर्ग ने मामले की शिकायत सरगुजा कमिश्नर नरेंद्र दुग्गा और सरगुजा कलेक्टर विलास भोस्कर संदीपान से कर न्याय की मांग की हैं।

दरअसल ग्राम बटवाही रघुनाथपुर निवासी मो० युसुफ अंसारी के निजी पट्टे की जमीन रकबा 0.032 हे० लगभग 8 डिसमिल है, जिसका क्रय उनके द्वारा वर्ष 2014 में किया गया था। तब से सरकारी रिकॉर्ड में यह जमीन उनके नाम पर दर्ज है जिसकी ऋण पुस्तिका, रजिस्ट्री के पेपर से लेकर खसरा, b1, नक्शा सब कुछ उनके पास मौजूद है। उनकी जमीन के 0.004 हे. में लखन यादव तथा 0.007 हे. में शिवशंकर सिंह के द्वारा बाउण्ड्रीवाल निर्माण कर अवैध कब्जा किया गया था जिसका केस तहसील लुण्ड्रा व धौरपुर एसडीएम के यहां लगभग सात वर्षों से लंबित था। इसी बीच रघुनाथपुर की तत्कालीन नायब तहसीलदार अंकिता तिवारी द्वारा निरस्त कर दिया गया और जिसके बाद पीड़ित द्वारा इस मामले की अपील एसडीएम धौरपुर जे. आर . शतरंज से की गई। SDM द्वारा अनावेदकों लखन व शिवशंकर द्वारा इस जमीन की खरीदी लखन यादव द्वारा 20 हजार रुपए में और शिवशंकर सिंह द्वारा 4 हजार रुपए में किए जाने की बात लिखते हुए आवेदक की अपील को निरस्त कर दी गई। जबकि अनावेदको द्वारा जमीन की खरीदी के संबंध में कोई लिखित सबुत या रजिस्ट्री पेपर प्रस्तुत नहीं किए गए। पीड़ित का आरोप हैं कि लखन व शिवशंकर सिंह के पास इस जमीन की खरीदी संबंधी कोई सबूत या रजिस्ट्री पेपर नहीं है क्योंकि उनके द्वारा इस जमीन की खरीदी की ही नहीं गई है, बल्कि यह जमीन उनकी है और उनकी जमीन पर लखन और शिवशंकर द्वारा अवैध अतिक्रमण किया गया है। पीड़ित बुजुर्ग का आरोप हैं कि अनावेदकों द्वारा भूमि विक्रेता महावीर को गवाही दिलाते हुए यह बयान करवाया गया था कि उनके द्वारा पीड़ित को केवल 3 डिसमिल जमीन ही बिक्री किया गया था जबकि पिछले 11 वर्षों से यह जमीन पीड़ित के नाम पर ही दर्ज है लेकिन भूमि विक्रेता महावीर को इसकी जानकारी होने के बावजूद उनके द्वारा इसकी शिकायत अब तक कही नहीं कि गई हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि महावीर द्वारा पीड़ित को केवल 3 डिसमिल जमीन बेची गई थी तो 8 डिसमिल जमीन पर उनका नामांतरण होते वक्त उन्होंने ऑब्जेक्शन क्यों नहीं किया?? और इतने वर्षों तक वह चुप क्यों बैठे रहे..??

बहरहाल पीड़ित द्वारा मामले की शिकायत संभाग आयुक्त नरेंद्र दुग्गा और कलेक्टर विलास भोस्कर से की गई है।

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  1. मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं । जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
    कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
    रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)

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