हिंद स्वराष्ट्र एमसीबी किशन देव शाह : मनेंद्रगढ़ शहर के बाईपास से लेकर कठौतिया तक इन दिनों मध्य प्रदेश की अवैध शराब की खुलेआम बिक्री हो रही है। हैरानी की बात यह है कि यह सब आबकारी विभाग की आंखों के सामने हो रहा है, लेकिन विभागीय अमला पूरी तरह से मौन धारण किए बैठा है।
सूत्रों के अनुसार, ग्रीन पार्क, स्थानीय होटल और ढाबों में रात 9 बजे के बाद से ही अवैध शराब की बिक्री ज़ोर पकड़ लेती है। इन स्थलों पर 50 से 60 वाहनों की भीड़ आम बात हो गई है। मौके पर आबकारी विभाग के सिपाही भी लाचारी में कहते हैं, हमारा नाम मत बताइएगा “उच्च अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे, हम क्या कर सकते हैं?”
शासन को हो रहा आर्थिक नुकसान
छत्तीसगढ़ सरकार जहां सरकारी शराब दुकानों के माध्यम से 20% रियायती दर पर शराब बेच रही है, वहीं मध्यप्रदेश की तस्करी कर लाई गई शराब की बिक्री न सिर्फ नियमों की धज्जियां उड़ा रही है, बल्कि शासन को राजस्व का भी बड़ा नुकसान हो रहा है।
विभागीय लापरवाही या मिलीभगत?
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आबकारी विभाग के अधिकारी इस धंधे से पूरी तरह वाकिफ होने के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे? क्या यह विभागीय लापरवाही है या फिर कहीं न कहीं मिलीभगत का मामला भी हो सकता है?
स्थानीय प्रशासन और शासन से अपील
जनता की ओर से शासन और जिला प्रशासन से यह मांग की जा रही है कि: मध्यप्रदेश की अवैध शराब की बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए। ग्रीन पार्क, होटल व ढाबों पर विशेष निगरानी रखी जाए।
जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह न सिर्फ शासन के राजस्व को प्रभावित करेगा, बल्कि नशे के बढ़ते प्रचलन से सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी सामने आएंगी।
