भाजपा जिलाध्यक्ष सिसोदिया समेत 7 के विरुद्ध FIR दर्ज करने कोर्ट ने जारी किए आदेश, जानें क्या हैं मामला…

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हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : विधवा महिला के साथ धोखाधड़ी कर करोड़ों की जमीन के फर्जीवाड़े मामले में जिला सत्र न्यायालय ने बीजेपी के जिलाध्यक्ष भारत सिंह सिसोदिया, कांग्रेस के जिला महामंत्री राजीव अग्रवाल और वकील दिनेश कुमार सिंह समेत 7 लोगों पर FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। दरअसल मामला एक ग्रामीण महिला से करोड़ों रुपये की जमीन को ठगने की कोशिश का है, जहां महिला के साथ करोड़ो रुपये की धोखाधड़ी की गई। 
मिली जानकारी के अनुसार आवेदक की ओर से पेश आवेदन अंतर्गत धारा 156 (3) द.प्र.सं. के संबंध में तर्क किया गया है कि चंद्रमणी देवी कुशवाहा गांधीनगर, अम्बिकापुर व कलावती कुशवाहा भैयाथान, जिला-सूरजपुर, छ.ग. की निवासी हैं जो देहाती और अनपढ़ महिला हैं तथा गृहणी हैं। दिनेश कुमार सिंह पेशे से अधिवक्ता है जो शेष छह अभियुक्तगणों रविकान्त सिंह, भारत सिंह सिसोदिया, नीरज प्रकाश पाण्डेय, राजेश सिंह, निलेश सिंह व राजीव अग्रवाल के साथ मिलकर जमीन खरीद-बिक्री का काम करता है। सभी का मुख्य व्यवसाय ग्रामीण क्षेत्रों के जमीनों का पता करना कि किस भूमि पर मुकदमा चल रहा है और उन भूमियों के स्वामियों से सम्पर्क कर उन्हें गुमराह कर उनकी जमीनों को कम दाम में खरीदकर, प्लाटिंग कर उसे अधिक दामों में बेचने का कार्य किया जाता है। सभी पेशे से काफी धनाढ्य हैं और राजनीति में भी एक अच्छी पैठ है। शासन किसी का भी हो, इन सभी की अच्छी-खासी पहुंच है। साथ ही सरगुजा जिले के दबंग लोगों में इनका नाम है।
दोनों महिलाओं की पैतृक भूमि ग्राम भगवानपुरखुर्द, तहसील-अम्बिकापुर, जिला-सरगुजा, छ.ग. में स्थित है। जिसका खसरा नंबर 44/1, 55/1, 119/2, 122/4, 125/2, रकबा क्रमशः 0.07, 0.060, 0.0480, 0.680, 0.300, 0.090, 0.050, 0.340, 0.500 तथा 0.300 हे. कुल रकबा 2.870 हेक्टेयर है। यह भूमि आवेदकगण की पैतृक भूमि है। राजस्व अभिलेखों में आवेदकगण के भाई रघुवर कुशवाहा और छतरू कुशवाहा का नाम दर्ज था, आवेदकगण का नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं था। राजस्व अभिलेखों में आवेदकगण अपना नाम, अपने भाईयों के साथ दर्ज कराकर, बंटवारा भी कराना चाहती थी, जिसे लेकर आवेदकगण के भाई सहमत नहीं थे। जिस हेतु आवेदकगण दिनेश सिंह से सम्पर्क किए, जो पेशे से अधिवक्ता हैं। आवेदकगण, अधिवक्ता दिनेश सिंह पर अटूट विश्वास कर अपने सभी कागजात उन्हे सौंप दिए, और पूरे प्रकरण की जबाबदारी भी उन्हें दे दिया। दिनेश सिंह ने आवेदकगण के प्रकरण को समझकर, नाम दर्ज करने तथा बंटवारा के प्रकरण में अपना वकालतनामा पेश कर पैरवी करना शुरू किया। कुछ दिनों के बाद जब आवेदकगण वकील के पास आई तब वकील दिनेश सिंह ने दोनों महिलाओं को झांसा देकर जमीन का एग्रीमेंट करा लिया। इसके बाद वकील ने अपने भू-माफिया साथीगणों से बातचीत कर दोनों महिलाओं को बुलाकर उनके हिस्से की सम्पूर्ण भूमि का विक्रय अनुबंधपत्र राजीव अग्रवाल के नाम पर करा दिया। दोनों महिलाओं से वकील ने दोबारा एक भूमि बिक्रीनामा अनुबंध 21 नवंबर .2016 को करा लिया। उपपंजीयक कार्यालय अम्बिकापुर में एग्रीमेंट कराया। यह अनुबंधपत्र 1,13,00,000 रूपए में प्रथमपक्ष की सम्पूर्ण उक्त भूमि के संबंध में निष्पादित हुआ है। जिसमें 5,50,000 रूपए की राशि देना लिखा गया है और राशि की पावती के रूप में इसी अनुबंध को माना गया है। जबकि आवेदकगण को मात्र 50,000 रूपए की राशि अनुबंध के समय प्रदान की गई है।

चेक के जरिये करना था भुगतान
कानून के मुताबिक उक्त राशि को चेक के माध्यम से दिया जाना चाहिए था, चेक के माध्यम से राशि का भुगतान न किया जाना इस बात का प्रमाण है कि अनुबंध में दर्शित राशि का भुगतान आवेदकगण को नहीं किया गया है।


वकील ने किया धोखाधड़ी
अभियुक्तगण ने प्रथम अनुबंधपत्र 1,75,000,00/- (एक करोड़ पच्हत्तर लाख) रूपये में तथा उसी भूमि का द्वितीय अनुबंधपत्र 1,13,00,000/- (एक करोड़ तेरह लाख) रूपए में करवाया, जबकि ये आवेदकगण अशिक्षित हैं और अपने अधिवक्ता अभियुक्त क्रमांक 1 पर अटूट विश्वास रख रहे थे, जिसका नाजायज फायदा उठाकर अभियुक्त क्रमांक 1 अपने अन्य सहयोगी अभियुक्तगणों के साथ मिलकर पूरी साजिश को अंजाम दिए हैं।

भरोसे का उठाया फायदा, वकील ने जहां कहा कर दिया दस्तखत
आवेदकगण के अधिवक्ता जहां कहते वहां आवेदकगण अपना हस्ताक्षर कर देते थे। प्रथम विक्रयपत्र के बाद दिनांक 25.09.2017 को आवेदक क्रमांक 1 चन्द्रमणि कुशवाहा से अभियुक्त क्रमांक 3, 4, 5 और 6 ने दो प्लाट खसरा नंबर 55/1 और 122/4 रकबा क्रमशः 0.06 व 0.59 आरे भूमि का विक्रयपत्र निष्पादित करवाया जो उपपंजीयक कार्यालय अम्बिकापुर में पंजीकृत हुआ। इस अनुबंधपत्र में अनुबंधित दो प्लाटों का कीमत 11,50,000/-(ग्यारह लाख पचास हजार) रूपए चेक क्रमांक 0524 के माध्यम से भुगतान किया गया।

एक जमीन का दो बार कराया एग्रीमेंट
अभियुक्तगण ने प्रथम बार में अनुबंध पूरे प्लाटों का एक करोड़ पचहत्तर लाख रूपए में करवाया उसके बाद उसी प्लाट का एक करोड़ तेरह लाख रूपए में अनुबंध करवाया उसके बाद विक्रयपत्र निष्पादित करते समय अभियुक्तगण ने कुल चालीस लाख सोलह हजार रूपए ही भुगतान किए हैं। जिस भूमि का अनुबंध किया गया है और जिस भूमि की रजिस्ट्री अभियुक्तगण के द्वारा आवेदक को धोखा देकर करवाई गई है उस भूमि पर कब्जा आवेदकगण का नहीं है। उक्त भूमि पर आज भी आवेदकगण के भाईयों तथा उनके परिवार का कब्जा है।

बंटवारा व नामांतरण कराने वकील को दिया था दस्तावेज, कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
दोनों महिलाओं से एक और अनुबंधपत्र पंकज श्रीवास्तव नाम के व्यक्ति को गुमराह करके कराया गया था, पंकज श्रीवास्तव को जब पूरे मामले की जानकारी हुई तब पंकज श्रीवास्तव ने इस आवेदक सहित अभियुक्तगणों के विरूद्ध थाने में शिकायत की थी जिस पर आवेदक सहित अभियुक्त क्रमांक 1 व 2 पर भी अपराध दर्ज हुआ है। अभियुक्तगण, आवेदकगण से उनके हक व स्वामित्व की भूमि का 1,75,00,000/- (एक करोड़ पचहत्तर लाख) रूपए में अनुबंध कराकर, मात्र 40,16,000/- (चालीस लाख सोलह हजार) रूपए का भुगतान कर बेईमानी और धोखाधड़ी किए हैं इसके अतिरिक्त अभियुक्त क्रमांक 1 जो पेशे से अधिवक्ता है जिसे आवेदकगण ने अपना अधिवक्ता नियुक्त कर बंटवारा और नामांतरण कराने हेतु कहा, लेकिन अभियुक्त क्रमांक 1 सारी बातों को समझकर, कार्य को कराने में काफी पैसा खर्च होने और राजनीतिक हस्तक्षेप करवाने की बात कहकर आवेदकगण को गुमराह कर कम दाम में पूरी जमीन को विक्रय करा दिया जो एक अधिवक्ता के कृत्य के ठीक विपरीत है।

जिस पर भरोसा किया उसी ने दिया दगा
अनुबंध और विक्रयपत्र के समय में कुल 28,08,000/- (अट्ठाईस लाख आठ हजार) रूपए तथा धीरे-धीरे 12,08,000/- (बारह लाख आठ हजार) रूपए दिए इस तरह कुल 40,16,000/- (चालीस लाख सोलह हजार) रूपए का ही भुगतान किया है। अभियुक्त क्रमांक 1 के द्वारा उपरोक्त कृत्य अपने-आपको काफी बचाते हुए किया गया है कहीं भी अनुबंधपत्र या विक्रयपत्र में गवाह नहीं बना बना है है लेकिन वह प्रत्येक स्थानों पर आवेदकगण को बुलाया है और सारे कृत्यों को अंजाम दिया है। आवेदकगण अभियुक्त क्रमांक 1 पर भरोसा करती रही लेकिन वह आवेदकगण के साथ अपने साथियों से मिलकर धोखाधड़ी व बेईमानी किया है।

धोखाधड़ी की जानकारी के बाद थाने में कई शिकायत
आवेदकगण को जब अभियुक्त क्रमांक 1 सहित शेष अभियुक्तगणों के कृत्यों की जानकारी लगी तब आवेदकगण द्वारा पुलिस थाना अम्बिकापुर में दिनांक 10.06.2018, 16.02.2019, 07.07.2023 तथा पुलिस अधीक्षक को दिनांक 06.07.2023, 21.08.2023 तथा पुलिस महानिरीक्षक को दिनांक 14.09.2018, 16.02.2019 07.07.2023 को शिकायत की है लेकिन आवेदकगण की शिकायत पर न तो थाना प्रभारी, पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस महानिरीक्षक किसी के द्वारा कोई जांच की कार्यवाही नहीं की गई। अभियुक्तगण के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी, 34 का अपराध पंजीबद्ध कर अभियुक्तगण के विरूद्ध अभियोग पत्र प्रस्तुत किये जाने का निवेदन किया गया है।


सीजेएम कोर्ट ने थाना प्रभारी की दिया आदेश
मामले की सुनवाई के बाद सीजेएम कोर्ट ने थाना प्रभारी अंबिकापुर को पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ एफआईआर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीबद्ध कर नियमानुसार विवेचना किया जाना सुनिश्चित करें। प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति दो सप्ताह के भीतर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।

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