हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : सरगुजा जिले का आदिवासी विकास प्राधिकरण आदिवासियों और गरीब तबके के लोगों का हक मारने और विभाग में पदस्थ अधिकारियों के जेब भरने का माध्यम मात्र बनकर रह गया हैं। विभाग में इतनी अनियमितताएं हैं जिनका उंगलियों से गिनती कर पाना भी संभव नहीं हैं।
आवश्यकता से अधिक डेली वेतन भोगियों की नियुक्ति
आदिवासी विकास प्राधिकरण द्वारा डेली वेतन भोगी कर्मचारियों की नियुक्ति असंवैधानिक तरीके से जरूरत से ज्यादा संख्या में कर दी गई है। विभाग द्वारा इस नियुक्ति में इतनी अनियमितता की गई है कि विभाग को कितने डेली वेतन भोगियों की नियुक्ति की गई है इस बात की भी जानकारी नहीं है, उनको इस बात की भी जानकारी नहीं है कि कितने लोगों की नियुक्ति करनी थी और कितने लोगों की नियुक्ति कर दी गई है। विभाग द्वारा 435 मजदूरों के सेटअप के जगह पर करीबन 1500 मजदूरों की भर्ती कर ली गई है। विभाग द्वारा इतनी बड़ी लापरवाही कैसे कर दी गई यह विचारणीय हैं।
जांच के नाम पर मामले को दबा देने का रहा हैं रिकॉर्ड
आदिवासी विकास प्राधिकरण द्वारा कौशल विकास योजना के नाम पर कोरवा जनजाति के लोगों के साथ धोखाधड़ी मामले को जांच के नाम पर पहले ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया हैं। उसी तर्ज पर अब इन महानुभावों द्वारा डेली वेतन भोगी कर्मचारियों की आवश्यकता से अधिक संख्या बल्कि दुगुनी तिगुनी संख्या में भर्ती कर दी गई हैं। इस मामले को भी दबाने का भरसक प्रयास किया जा रहा हैं।

मामले का हुआ खुलासा
विभाग द्वारा असंवैधानिक तरीके से डेली वेतन भोगियों की नियुक्ति की गई है जिसकी जानकारी समाजसेवी और RTI एक्टिविस्ट अभय नारायण पाण्डेय को लगी तो उन्होंने मामले की जानकारी विभाग से मांगी गई जिसपर विभाग द्वारा दिया गया जवाब काफी आश्चर्य जनक हैं दरअसल विभाग को खुद जानकारी नहीं है कि उनके द्वारा कितने दैनिक वेतन भोगियों की नियुक्ति की गई है। तीन अलग-अलग आरटीआई के जवाब में विभाग द्वारा तीन अलग-अलग जानकारियां दी गई है दैनिक वेतन भोगियों की संख्या और उनकी पदस्थापना भी अलग-अलग जगहों पर बताई गई है। पहले आरटीआई में विभाग द्वारा 435 दैनिक वेतन भोगियों की जानकारी दी गई वहीं दूसरे आरटीआई में दैनिक वेतन भोगियों की संख्या 778 बताई गई आश्चर्य की बात यह है की तीसरी आरटीआई में लगातार संख्या बढ़ते हुए मजदूरों की संख्या 881 हो गई।
विभाग द्वारा उनकी नियुक्ति में इतनी अनियमितता की गई कि उसका हिसाब खुद विभाग के पास नहीं है। विचारणीय बात यह है कि जब दैनिक वेतन भोगियों की संख्या ही विभाग को मालूम नहीं है तो उनका वेतन कितना आता होगा और वह वेतन कहां मैनेज होता होगा।
नियुक्ति में अनियमितता में सामने आ रहा सुरेंद्र सिंह का नाम
इस नियुक्ति के सारे खेल में सुरेंद्र सिंह का नाम निकलकर सामने आ रहा है आपको बता दे की सुरेंद्र सिंह मूलतः प्राथमिक शाला चोरकाकछार के प्रधान पाठक है लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा इन पर मेहरबानी करते हुए इन्हें घघरी पहाड़ी कोरवा आश्रम के अधीक्षक का प्रभार भी सौंपा है, वही आदिवासी विकास प्राधिकरण द्वारा भी इन्हें मंडल संयोजक के पद पर रखते हुए प्रोटोकॉल अधिकारी की जिम्मेदारी भी दी गई हैं। इंसान एक पद तीन सोचने की बात है, तीन पदधारी कैसे निभाते होंगे अपनी जिम्मेदारी?? सूत्रों की माने तो तो विभाग के ही लोगों का कहना है कि विभाग मंडल अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह द्वारा दैनिक वेतन भोगियों की नियुक्ति में काफी अनियमितता की गई है और बेरोजगार युवकों से पैसे लेकर उनकी नियुक्ति की गई और विभाग की आंखों में धूल झोंकते हुए पैसों की हेरा फेरी कर सबको मैनेज किया जा रहा है। सूत्र यहां तक बताते हैं कि सुरेंद्र सिंह द्वारा अपने निजी निवास और अपने होटल में भी सरकारी दैनिक वेतन भोगियों की नियुक्ति कर रखी गई है और वे काम उनका करते हैं और पैसे सरकार से लेते हैं। एक रोचक बात यह भी बताई गई की सुरेंद्र सिंह द्वारा एक महिला प्रधान पाठक को भी विभाग के माध्यम से ड्राइवर प्रदान किया गया है। लेकिन महिला प्रधान पाठक के साथ इतनी हमदर्दी और दरियादिली का क्या कारण है यह तो सुरेंद्र सिंह ही बता पाएंगे।
