हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर : सूरजपुर कोतवाली पुलिस की एक बड़ी लापरवाही सामने निकलकर सामने आई है जहां सूरजपुर कोतवाली पुलिस द्वारा किशोर न्याय अधिनियम की धज्जियां उड़ाते हुए एक नाबालिक अपराधी की फोटो वीडियो प्रेस नोट के साथ जारी कर दी है। दरअसल मामला सूरजपुर के नशा मुक्ति केंद्र में युवक के साथ मारपीट कर उसकी हत्या मामले का है, पुलिस जांच में युवक की बेरहमी से मारपीट कर हत्या किए जाने की जानकारी हाथ लगी सीसीटीवी फुटेज आदि के आधार पर पुलिस द्वारा 9 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई,जिसमें एक आरोपी के नाबालिक होने की जानकारी पुलिस को लगी। पुलिस द्वारा आरोपियों के साथ फोटो खिंचवाया गया और अपना पीठ थपथपाते हुए इस तस्वीर और वीडियो को प्रेस नोट के साथ जारी कर दिया गया। जबकि नाबालिक का फोटो वीडियो पहचान जारी करना कानूनन अपराध हैं।
चोरी ऊपर से सीना जोड़ी की कहावत को यथार्थ करते हुए कोतवाली पुलिस द्वारा इतनी बड़ी लापरवाही के बाद अब मामले की लीपापोती की कोशिश की जा रही हैं। पुलिस का कहना हैं कि पहले आरोपी के अपचारी होने की जानकारी मिली थी लेकिन बाद में जांच में उसकी उम्र 19 वर्ष होने का पता चला। लेकिन सवाल यह उठता हैं कि जब प्रेस नोट जारी किया गया तब प्रेस नोट में उसे नाबालिक बताया गया तो फिर उस स्थिति में उसकी फोटो और वीडियो कैसे जारी की गई?? अगर उस वक्त तक पुलिस को उसके नाबालिक होने की जानकारी थी तो फिर उसके फोटो वीडियो जारी क्यों किए गए??
आपको बता दे की किशोर न्याय अधिनियम के तहत किसी भी नाबालिक अपराधी की पहचान सार्वजनिक करना कानूनी अपराध है इसके लिए जुर्माने का भी प्रावधान है। नाबालिक अपराधी के गोपनीयता और पुनर्वास को सुनिश्चित करने के यह अधिनियम बनाया गया है। यह अधिनियम नाबालिगों के पुनर्वास पर जोर देता है, ताकि वे समाज में वापस आ सकें और अपराधों से दूर रहे।
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 74
कोई भी व्यक्ति किसी अपराध से पीड़ित नाबालिग, किसी अपराध के साक्षी नाबालिग, किसी अपराध को करने वाले नाबालिग बच्चे की पहचान को किसी समाचार पत्र, पत्रिका, वीडियो-ऑडियो के माध्यम से उसकी पहचान, चित्र, या उसके स्कूल या निवास का नाम न सार्वजनिक करेगा न ही प्रकट करेगा लेकिन किन्ही परिस्थितियों जाँच करने वाला बोर्ड बच्चे के हित के लिए आवश्यक हो और आज्ञा (अनुमति) देता है तब शर्तो के अनुसार सार्वजनिक किया जा सकता है, अन्यथा नहीं।
दण्ड का प्रावधान:
अधिनियम की धारा 74 की उपधारा 3 के अनुसार कोई व्यक्ति अगर किसी नाबालिग की पहचान सार्वजनिक करता है या धारा जूविनाइल जस्टिस एक्ट 74 (1) का उल्लंघन करता है तब छः माह की कारावास या दो लाख रुपए जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
चुकी कानून सबके लिए समान है इस नियम को मानते हुए दोषी या यूं कहे लापरवाह पुलिस अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन देखने की बात यह होगी की पुलिस द्वारा अपने विभाग की छवि को बचाने के लिए दोषी पुलिस अधिकारी का साथ दिया जाता है या फिर उस पर कार्यवाही कर पुलिस प्रशाशन पर आम नागरिकों के विश्वास को कायम रखा जाता हैं।
