मैनपाट के जंगलों में पेड़ों की अवैध कटाई कराने वाले रेंजर फेकू चौबे के खिलाफ वन सुरक्षा समिति ने खोला मोर्चा,शिकायत लेकर पहुंचे डीएफओ,सीसीएफ तक

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अम्बिकापुर प्रशान्त पाण्डेय (हिंद स्वराष्ट्र) मैनपाट के जंगलों में अवैध कटाई एवं अवैध अतिक्रमण की जानकारी मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं करने वाले रेंजर फेकू चौबे की हरकतों से परेशान होकर वन सुरक्षा समिति नागाडांड के सदस्यों ने आखिरकार रिंकू चौबे खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, आपको बता दें कि मैनपाट के जंगलों में अवैध कटाई एवं अवैध अतिक्रमण कर जंगल को पूरी तरह नष्ट किया जा रहा है जिस पर वन परिक्षेत्र अधिकारी मैनपाट के द्वारा कोई भी संतुष्टि जनक कार्यवाही नहीं की जा रही है यह बेहद चौंकाने वाला मामला है कि एक जिम्मेदार पद में बैठे रेंजर द्वारा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है यहां तक की जब वन सुरक्षा समिति के सदस्यों द्वारा इस बात की सूचना दी जाती है तो रेंजर फेकू चौबे अपने आरामदायक कुर्सी से उठने की कष्ट भी नहीं करते। इस घटना से परेशान होकर वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने इस बात की शिकायत सरगुजा वन मंडल अधिकारी एवं मुख्य वन संरक्षक सरगुजा से की है।

ना जाने कब जागेगा वन विभाग अपनी कुंभकरण की नींद से

पहले भी कर चुके हैं डीएफओ से शिकायत लेकिन नहीं होती है कार्यवाही

वन मंडल अधिकारी एवं मुख्य वन मंडल अधिकारी के पास शिकायत करने आए वन सुरक्षा समिति के लोगों ने बताया कि उन्होंने पहले भी इस बात की शिकायत वन मंडल अधिकारी सरगुजा पंकज कमल से की थी लेकिन जानकारी मिलने के बाद भी डीएफओ द्वारा इस पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया जिससे वन सुरक्षा समिति के सदस्य में काफी असंतोष है यह सोचने का विषय है कि एक जिम्मेदार पद में बैठे वन मंडल अधिकारी पंकज कमल अपने वन परीक्षेत्र अधिकारी फेकू चौबे को बचाने में लगे हैं या फिर उन्हें अपने रेंजर पर इतना भरोसा है कि फरियाद करने आए लोगों के आवेदन पर उन्हें भरोसा ही नहीं है। सोचने की बात तो यह है कि जब पहले ही उन्हें इस बात की सूचना मिल चुकी है की वन परीक्षेत्र अधिकारी के संरक्षण में मैनपाट में जंगलों का अवैध कटाई और अवैध अतिक्रमण जोरों पर है तो उन्हें कार्रवाई करने में किस बात का भय है। और वह इस बात की जांच करा कर या स्वयं जंगलों का निरीक्षण कर कार्रवाई क्यों नहीं करते।

कार्रवाई करने की बात कह कर अपना बचाव करने वाले रेंजर की वन परीक्षेत्र की जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है।

रेंजर फेकू चौबे अपने बचाव में हमेशा यही कहते हैं कि हमने बहुत सारे जगहों पर कार्रवाई की है और बहुत सारे लोगों को पट्टा मिला हुआ है लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या किसी व्यक्ति को जंगल के बीचो बीच जहां चारों और जंगल हो और समुद्र में एक टापू के जैसे पट्टा मिल सकता है और क्या किसी व्यक्ति को नदी के धारा में जल के मार्ग को परिवर्तित कर उस पर वन अधिकार अधिनियम पट्टा प्राप्त किया जा सकता है यदि किसी व्यक्ति के पास पट्टा भी है तो क्या उसे जंगलों को काटने का अधिकार है यह अधिकार किसी व्यक्ति के पास नहीं है फिर भी यह कैसे संभव है कि प्रत्येक वर्ष अवैध अतिक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है और लोगों को रोकने में वन विभाग की टीम पूरी तरह से असफल हो स्पष्ट है की वन विभाग या तो अतिक्रमण करने वालों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनका सहयोग कर रहा है या फिर वन विभाग इतना लाचार हो चुका है कि वह वन भूमि पर अतिक्रमण करने वाले लोगों पर कार्रवाई नहीं कर सकता है, इस बात की सच्चाई का खुलासा आने वाले दिनों में हो जाएगा कि वन विभाग और अतिक्रमण करने वाले लोगों के साथ मिली हुई है या फिर वह इतनी लाचार है कि अवैध कब्जा करने वालों पर कार्रवाई नहीं कर सकती।क्या फेकू चौबे सही तरीके से अपनी कार्रवाई कर रहे हैं यह जानने के लिए इतना जान लीजिए की उनके यह कथन का जवाब बस इतना है कि वह अपनी पूरी टीम के साथ वन सुरक्षा समिति एवं हिंद सौराष्ट्र की टीम के साथ केवल एक बार जंगल भ्रमण करने को तैयार हो जाए।

अगर कार्रवाई हो रही है तो फिर जंगलों में अवैध अतिक्रमण कैसे

यदि जंगलों में हो रहे अवैध अतिक्रमण पर उचित कार्रवाई कर अतिक्रमण करने वाले लोगों को किए गए अपराध के अनुसार विभाग द्वारा कार्रवाई की जाती तो लोगों की हौसले इतने बुलंद नहीं होते लेकिन वन विभाग की कार्रवाई केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है। पूरी तरह कागजी कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपा ने में रेंजर से लेकर वन विभाग के उच्च अधिकारी तक लगे हुए हैं।

कागजी कार्रवाई कर वाहवाही लूटने में लगे रेंजर साहब, मिल रहा विभागीय संरक्षण

रेंजर से मिली जानकारी के अनुसार मैनपाट के जंगलों में किसी भी प्रकार का अवैध अतिक्रमण नहीं किया गया है और जो भी मामले पाए गए थे उन पर ठोस एवं कड़ी कार्रवाई की जा चुकी है लेकिन बड़बोले पन के शिकार वन विभाग के वन परीक्षेत्र अधिकारी मैनपाट या भूल गया की हिंद स्वराष्ट्र की टीम ने खुद जंगलों में जाकर सच्चाई जानी है और अपने कैमरे में कैद हुई किया है जिसे झूठ लाया नहीं जा सकता। रेंजर फेकू चौबे फेंकने में इतना व्यस्त है कि उन्हें इस बात का भी एहसास नहीं हुआ कि हमारी टीम ने खुद मैनपाट के जंगलों का जमीनी स्तर पर मुआयना किया है उसके बाद भी बेवजह अपनी तारीफ के पुल बांधने वाली रेंजर फेकू चौबे भूल गए कि उन्हें क्या बोलना चाहिए और और क्या नहीं क्योंकि वह इस बात से अनजान थे कि हमें झूठ लाया नहीं जा सकता हमने अपने न्यूज़ में आंखों देखा हाल ही प्रकाशित किया है जिसके बाद यदि कार्यवाही नहीं की जाती है तो स्पष्ट है की वन परीक्षेत्र अधिकारी मैनपाट एवं वन मंडल अधिकारी सरगुजा मुख्य वन संरक्षक सभी की मिलीभगत से मैनपाट के जंगलों का नाश किया जा रहा है।

अगर पोल खुलने का डर ना हो तो वन मंडलाधिकारी सरगुजा पंकज कमल एवं वन परीक्षेत्र अधिकारी फेकू चौबे हिंद स्वराष्ट्र की टीम एवं वन सुरक्षा समिति की टीम के साथ मैनपाट के जंगलों का करे निरीक्षण

यदि हमारी आंखों देखी एवं हमारे कैमरे में रिकॉर्ड किए गए सबूत झूठे हैं तो जन सरोकार के लिए डीएफओ एवं रेंजर अपनी टीम के साथ वन सुरक्षा समिति एवं हमारी टीम के साथ एक संयुक्त अभियान के तहत जंगलों की सत्यता जानने के लिए उन जंगलों में चलें जहां अवैध अतिक्रमण एवं अवैध वनों की कटाई होने की खबर हमारे द्वारा चलाई गई है। यदि इस बात का साहस वन मण्डलाधिकारी एवं वन परिक्षेत्र अधिकारी के पास है कि वह सच अपनी आंखों से देख सकते हैं तो उन्हें वन परीक्षेत्र का दौरा कर स्वयं इस बात की सच्चाई को जानना चाहिए यदि अवैध अतिक्रमण अवैध पेड़ों की कटाई इन अधिकारियों की सहमति से हो रही है तो यह बात से उन्हे कोई फर्क नहीं पड़ेगा और ना ही वनों के दुश्मनों पर कोई भी कार्रवाई की जाएगी।

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