
हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : कोयला मंत्रालय द्वारा कमर्शियल कोल माइनिंग के तहत कोयला खदानों के नीलामी की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। इसमें सात राज्यों के 41 खदानें शामिल है, यह 14वे दौर के नीलामी की प्रक्रिया है। इस दौर में छत्तीसगढ़ की 15 कोयला खदानें सूचीबद्ध है। छत्तीसगढ़ की कोल ब्लॉक जिनकी नीलामी होनी है, वे निम्नलिखित हैं –
- गोरही महलोई-बिजना
- गोरही महलोई-देवगांव
- गोरही महलोई-अमलीढोंडा
- गोरही महलोई -कसडोल
- रेवंती इस्ट
- तेरम
- विजयनगर नॉर्थ
- विजयनगर साउथ
- भटगांव 2
- भटगांव एक्सटेंशन (बोझा)
- बटाटी कोलगा वेस्ट
- कलगामार
- मडवानी
- करतला साउथ
- तौलीपाली
वाणिज्यिक खनन को बढ़ावा
देश में घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ावा देने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, कोयला मंत्रालय ने हाल ही में वाणिज्यिक कोयला खनन (Commercial Coal Mining) के तहत खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की है। नवीनतम दौर की नीलामी में देश के सात राज्यों की कुल 41 खदानों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें से छत्तीसगढ़ की 15 कोयला खदानें शामिल हैं।
नीलामी का उद्देश्य
भारत में कोयला उत्पादन बढ़ाना, कोयले के आयात पर निर्भरता कम करना और राजस्व सृजन करना।
राज्य की खदानें
नीलामी के लिए सूचीबद्ध 41 खदानों में से 15 छत्तीसगढ़ राज्य की हैं। आरक्षित भंडार: इन खदानों में 12,725 मिलियन टन से अधिक का विशाल कोयला भंडार अनुमानित है।
आर्थिक और राजस्व प्रभाव
कोयला मंत्रालय इस नीलामी को राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मान रहा है। वाणिज्यिक कोयला खनन के माध्यम से राज्य सरकार को राजस्व में वृद्धि होने की उम्मीद है, साथ ही खनन क्षेत्रों के आसपास के समुदायों के लिए रोजगार सृजन के अवसर भी बढ़ेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, इन खदानों के संचालन से राज्य की जीएसडीपी (GSDP) में खनिज क्षेत्र की हिस्सेदारी और बढ़ेगी।
पर्यावरणीय और सामाजिक चिंताएं
खदानों की नीलामी पर पर्यावरण और वन्यजीव से संबंधित चिंताएं भी सामने आई हैं। कई कोयला ब्लॉक वन क्षेत्रों में स्थित हैं, जिनमें हाथी और अन्य वन्यजीवों का आवास है। कुछ खदानों में वन भूमि का प्रतिशत 15% से 40% तक है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने इन खदानों के खनन से वनों की कटाई और पर्यावरण पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों के प्रति आशंका व्यक्त की है। राज्य सरकार को स्थानीय प्रतिनिधियों के अनुरोध पर कुछ खदानों (जैसे रायगढ़ जिले में स्थित ‘बारा’ कोयला ब्लॉक) को अधिक मानव बस्ती के कारण नीलामी से छूट देनी पड़ी है।
कुल मिलाकर, छत्तीसगढ़ की 15 कोयला खदानों की नीलामी देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने की चुनौती भी जुड़ी हुई है।


