सूरजपुर जिले में खाद्यान्न घोटाला, कहीं कुंवारे लोगों के बन गए राशन कार्ड तो कही मुर्दों को भी मिल रहा राशन…

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हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर : राज्य भर में राज्य शासन द्वारा राशन कार्डों की फिजिकल वेरिफिकेशन का कार्य पूरा कर लिया गया है, इसके लिए शासन द्वारा 30 जून तक का समय दिया गया था हालांकि इस समयावधि को 1 माह के लिए बढ़ा दिया गया था, लेकिन बावजूद इसके सूरजपुर में राशन कार्ड में जमकर घोटाला किया जा रहा है और राशन कार्डों के फिजिकल वेरिफिकेशन के कार्य में गड़बड़ी करते हुए राशन की अपरातफरी की जा रही है। आपको बता दे कि जिले में अविवाहित युवकों के भी राशन कार्ड बन गए हैं तो कुछ ऐसे भी मामले हैं जहां मुर्दों को भी राशन मिल रहा है। जिले में शासकीय कर्मचारियों के भी गरीबी रेखा के कार्ड बन गए हैं और उन्हें राशन मिल रहा है।

दरअसल मामला सूरजपुर जिले के भैयाथान विकासखंड का हैं जहां हिंद स्वराष्ट्र की टीम ने जांच पड़ताल में पाया कि विकासखंड में कई ऐसे राशन कार्ड बने हुए हैं जिनका बनना निगम संगत नहीं हैं, वहीं नियम विरुद्ध तरीके से इन राशन कार्डों से खाद्यान्न का उठाव भी किया जा रहा हैं। आश्चर्य की बात यह हैं कि एक ऐसा पंचायत भी हैं जहां राशन वितरण का कार्य पंचायत के पंच द्वारा किया जा रहा हैं, जो कि पंचायत का एक जिम्मेदार नागरिक हैं जिसे इस बात की पूरी जानकारी हैं कि किन राशन कार्डों के मुखिया की मृत्यु हो गई हैं, उन कार्डों में भी उसके द्वारा मृतकों के नाम से लगातार राशन का वितरण किया जा रहा हैं।

खाद्य अधिकारी के पास नहीं हैं फोन उठाने का समय

आज के समय में अगर कोई पत्रकार निष्पक्ष होकर स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं और भ्रष्टाचारियों की पोल खोलते हैं, तो उनकी पत्रकारिता से भ्रष्ट, कामचोर अधिकारियों को काफी तकलीफ होती है और वे उन्हें अपना दुश्मन समझ बैठते हैं। सूरजपुर जिले में कई ऐसे भ्रष्ट अधिकारी है जिनको काम करना बिल्कुल पसंद नहीं आता है और यदि आप उनके विभाग के किसी मामले को उजागर करते हैं तो वे मामले की जांच और कार्यवाही करने की बजाए पत्रकार से ही उलझ जाते हैं और दो चार अपने खास चमचों से अपनी वाहवाही करवा कर खुश हो जाते हैं। खैर बात करे सूरजपुर जिले के खाद्य अधिकारी संदीप कुमार भगत की तो वे इतने व्यस्त रहते हैं कि उनके पास किसी का फोन उठाने का भी समय नहीं रहता हैं और न ही कॉल बैक करना उनके स्वभाव में शामिल हैं। केवल कुछ चुनिंदा लोगों के कॉल उठाने वाले खाद्य अधिकारी आम जनता के लिए भी अधिकारी हैं या केवल चुनिंदा लोगों के लिए यह तो समझ से पड़े हैं।

जानकारी देने के बावजूद नहीं ले रहे मामले में कोई इंट्रेस्ट

16 अक्टूबर को हमारे द्वारा संदीप भगत को मामले की जानकारी दी गई थी लेकिन 15 दिन से अधिक समय बीत जाने के बावजूद उनके द्वारा मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई और न ही यह जानने का प्रयत्न किया गया कि आखिर यह मामला कौन से ब्लॉक का हैं।

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