हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : सूरजपुर जिले के नशे के सौदागर सरगुजा जिले में नशे के सामानों की तस्करी धड़ल्ले से कर रहे हैं। सरगुजा जिले की गांधीनगर पुलिस की इस मामले में मौन सहमति है या अनभिज्ञता इसका फैसला हम आपके विवेक पर छोड़ते हैं। बात करें अगर गांधीनगर थाने कि तो थाने से महज 500 मीटर की दूरी पर सूरजपुर के नशा तस्कर धड़ल्ले से गांजा और नशे के इंजेक्शन और नशीली सिरप की तस्करी कर रहे हैं, घर/दुकान पर बैठा कर नशे का सामान बेच रहे हैं और नशा करवा रहे हैं। देर रात तक राजकीय राजमार्ग किनारे नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता हैं लेकिन गांधीनगर थाना और पेट्रोलिंग पार्टियों को इसकी जानकारी नहीं लगती है। सूत्र बताते हैं कि सूरजपुर जिले के ग्राम बोझा से यह तस्कर नशे का सामान गांजा लाकर इसे अंबिकापुर में खपा रहे हैं। वहीं सूरजपुर के भैयाथान और खोड़ क्षेत्र से नशीले इंजेक्शन और सिरप की तस्करी कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो ये तस्कर इतने बेखौफ इसलिए हैं क्योंकि इनके द्वारा थाने में सेटिंग की गई हैं और हर महीने थाने में उनका हिस्सा पहुंचा दिया जाता हैं। आपको बता दे की गांधीनगर थाने के महज 500 मीटर के रेंज पर इन तस्करों की तीन दुकान है और तीनों दुकानों में गांजे और नशीले इंजेक्शन की सप्लाई की जाती है।
थाने के पीछे अवैध शराब का कारोबार पुलिस को नहीं जानकारी
आपको बता दे की थाना क्षेत्र में केवल गांजा ही नहीं बल्कि गांधीनगर थाना क्षेत्र में थाना के पीछे अवैध शराब की बिक्री जोरों पर है लेकिन गांधीनगर पुलिस को इसकी जानकारी भी नहीं है। जब इस मामले की पड़ताल की गई तो एक तस्कर से यह जानकारी निकल कर सामने आई कि आबकारी उड़नदस्ता टीम और गांधीनगर पुलिस दोनों द्वारा इन अवैध शराब विक्रेताओं से महीना बांधा गया हैं। दोनों टीमों को हर महीने इन तस्करों द्वारा 4 – 4 हजार रुपए रिश्वत दिए जाते हैं ताकि इनका कारोबार सही से चलता रहे और पुलिस और आबकारी टीम उन पर कोई कार्रवाई नहीं करे।
नशे की जद में नवयुवक
गांधीनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सुभाष नगर, डिगमा,गांधीनगर, तुर्रापनी और मुक्तिपारा आदि में नवयुवक नशे की जद में हैं। नशे के कारोबारियों की वजह से इन नवयुवकों का भविष्य अंधेरे में हैं। शाम होते होते यहां के युवक नशे में चूर हो जाते हैं और आए दिन थाने में मारपीट कर रिपोर्ट लिखवाने पहुंच जाते हैं।
नशाखोरी बीमारी नहीं बल्कि सामाजिक विकृति
नशाखोरी एक बीमारी नहीं है बल्कि एक सामाजिक विकृति है। नशाखोरी का प्रभाव केवल नशा करने वालों पर नहीं पड़ता बल्कि इसका प्रभाव परिवार और समाज पर भी पड़ता है। इस पर लगाम लगाना समाज को साफ और स्वच्छ रखने के लिए काफी जरूरी है। प्रशासन को इस ओर कड़े कदम उठाने चाहिए और नशे पर तस्करों को मौन सहमति देने वाले भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों पर भी कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
