निलंबित तहसीलदार संजय राठौर का कारनामा बैक डेट पर कर दिया नामांतरण…!!

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हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर : भैयाथान विकासखंड के विवादित निलंबित तहसीलदार संजय राठौर द्वारा अपने भैयाथान पदस्थापना के दौरान अपने एक काफी करीबी बैजनाथ कुशवाहा के साथ मिलकर अपने पद का काफी दुरुपयोग किया हैं ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि पीड़ित परिवार द्वारा हमें जो भी कागजात प्रदान किए गए हैं और पीड़ित परिवार द्वारा बताया गया हैं। पीड़ितों से प्राप्त दस्तावेजों को देखकर प्रथम दृष्टया यही लगता है कि संजय राठौर द्वारा बैजनाथ कुशवाहा को फायदा पहुंचाने की नीयत से फर्जी तरीके से त्रुटि सुधार करते हुए बैक डेट में नामांतरण का कार्य किया गया हैं। दरअसल महिला द्वारा जब 16 मार्च 2025 को नामांतरण पंजी की ऑनलाइन कॉपी निकलवाई गई तब उसमें नामांतरण का डेट 22 में 2024 दिख रहा था जबकि महिला द्वारा 25 मई 2024 जब खसरा और b1 निकलवाया गया तब तक वह जमीन देवानंद कुशवाहा के नाम पर ही दर्ज थी। वहीं नामांतरण पंजी में भी पटवारी के स्थान पर संजय कुमार राठौर द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। आपको बता दे की इस जमीन पर किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत लोन लिया गया है और इसका लोन अभी भी बकाया है लेकिन लोन होने के बावजूद नियमों को तांक पर रखकर इस जमीन के नामांतरण का कार्य किया गया जबकि देवानंद के मृत्यु के पश्चात भी इस लोन की किश्तें उनके परिजनों द्वारा भरी जा रही हैं।

दरअसल यह पूरा मामला सिरसी ग्राम पंचायत का हैं, जहां देवानंद कुशवाहा नामक एक व्यक्ति की 2 एकड़ जमीन उसके भाई बैजनाथ द्वारा अपने नाम करवा ली गई हैं। इस मामले में पीड़िता का आरोप हैं कि तहसीलदार द्वारा 5 लाख रुपए की रिश्वत लेकर उसके पिता की जमीन उसके चाचा के नाम पर की गई हैं। तहसीलदार पर कई संज्ञीन आरोप लगाते हुए पीड़िता ने बताया कि तहसीलदार द्वारा उनसे रिश्वत की मांग की गई थी और कहां गया था कि बैजनाथ द्वारा उन्हें 5 लाख रुपए दिए गए हैं, इसके बाद दयानंद की जमीन को बैजनाथ के नाम पर किया गया है, अगर वह इससे ज्यादा पैसे देगी तो उसकी जमीन उसे वापस कर दी जाएगी। इस जमीन के फर्जीवाड़े के लिए तहसीलदार द्वारा उसके पिता के जाली हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया, साथ ही नामांतरण का कार्य भी नियम विरुद्ध जाकर बैक डेट पर किया गया है। पीड़िता का आरोप है कि तहसीलदार और उसके चाचा बैजनाथ और उनके कुछ सहयोगियों के कारण उसके पिता की मृत्यु हुई क्योंकि उनके पिता अपने साथ हुए इस धोखाधड़ी को झेल नहीं पाए और उनकी तबीयत अचानक से बिगड़ गई और उनकी मौत हो गई। पीड़िता ने बताया कि उन्होंने न्याय के लिए कलेक्टर, कमिश्नर यहां तक की मुख्यमंत्री तक को आवेदन दिया है लेकिन उसे अब तक न्याय नहीं मिल पाया है। पीड़िता और उसके पूरे परिवार का कहना है कि अगर शासन प्रशासन द्वारा उनको न्याय नहीं दिलाया जाता है और उनकी जमीन उन्हें वापस नहीं दिलाई जाती है तो वे सभी सामूहिक रूप से आत्महत्या कर लेंगे।

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